पर्व-त्यौहार उत्सव-आनन्द और जीवन की क्रियाशीलता के प्रतीक हैं। हमारे देश में हर सप्ताह, पक्ष और मास में कोई न कोई विशेष पर्व-त्यौहार मनाया जाता है। बात अगर कार्तिक मास की करें तो यह पूरा महीना ही पर्व त्यौहारों से भरा पड़ा है। कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली का पावन गंगा स्नान की पूर्णता पर दान-पुण्य, यज्ञ-अनुष्ठान का आयोजन भी इसी माह किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा तटों पर मेले और स्नान में उमड़ी श्रद्धालुओं की श्रद्धा देखते ही बनती है।
पूरे माह तक स्नान व्रती कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान कर अपने व्रत को भी पूर्ण करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी के तटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की श्रद्धा देखते ही बनती है। कार्तिक पूर्णिका स्नान का अद्भुत महात्म्य है, पप्रपुराण के अनुसार सामान्य रूप से स्नान की अपेक्षा पवित्रतापूर्वक जलाशय, नदी एवं संगम तट पर स्नान से दस गुने पुण्य की प्राप्ति होती है। जबकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी तटों पर स्नान से अनन्त गुना फल प्राप्त होने की मान्यता है। साधक को धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती ही है।
वास्तव में कार्तिक पूर्णिमा को इस व्रत उत्सव से भरे माह को पूर्णता का पर्व भी कह सकते हैं। कार्तिक स्नान के महात्म्य के सम्बन्ध में पद्मपुराण में वर्णन है|
मान्यता है कि इस कार्तिक मास के दिन स्नान-व्रत लेकर विधिपूर्वक गुरु आश्रम में दान करने, गुरुनिर्देशन में तुलसी पूजन करने, गुरु मुख से भगवान की कथा सुनने से सुख-समृद्धि और आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा में गुरु नानक देव जी का भी प्राकट्य दिवस है, देश-विदेश में यह वर्ष गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है|
सर्वेश्वरवादी संत गुरुनानक जी की रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में हमेशा खड़े रहे उन्होंने ईश्वर का दर्शन विराट संसार में दुखी, पीड़ितों की सेवा रूप में किया जाता था|
“अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले कौन मंदे”
सभी इंसान उस ईश्वर के नूर से ही जन्मे हैं, इसलिये कोई बड़ा छोटा नहीं है कोई आम या खास नहीं है, सब बराबर हैं|
उनका कहना था कि ईश्वर का साक्षात्कार बाह्य साधनों से नहीं आंतरिक साधना से संभव है| उन्होंने अपनी इस अवधारणा पर दर्शन, वैराग्य, तत्कालीन राजनीति, धार्मिक और सामाजिक परिस्थितियों पर संदेश दिया|सिख समाज आज देश-विदेश में उनके सेवा अभियान में जुटा है समाज के उत्थान के लिए आपने दीन दुखियों की सेवा के अनेक मार्ग प्रशस्त किए जिसमें दान-पुण्य, सेवा, लंगर आदि माध्यम बने|
सेवा के प्रति समर्पित लोगों का उन्होंने करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) नामक एक नगर भी बसाया और यही पर वह ज्योति में समां गए थे| श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के इच्छुक श्रद्धालु को खोलने पर प्रकाश पर्व का महत्व और भी ज्यादा हो जाता है|
गुरु नानक देव जी के बताये सद्कर्म की राह पर चलकर गुरु कृपा प्राप्त करें व उनके विचारों को जन जन तक पहुँचाएं|