महाशिवरात्रि का प्रमुख पर्व भारत सहित विश्व भर में बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है! माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ! भगवान शिव जो सृष्टि को उत्पन्न भी करते हैं और प्रलय में विलीन भी उनकी महिमा अनन्त है!
पंचाक्षरी मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें ‘भगवान तो भाव के भूखे हैं उनको संसार के पदार्थ नहीं चाहिए! मात्र जल’,पुष्प ही अर्पित करें तो भी रीझ जाए पर भावना से अर्पित करें और अपना प्रेम अर्पित करें!
भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग हैं पूरे देश मे , यह जाग्रत स्थान हैं! हर व्यक्ति का अपनी राशि के अनुरूप एक ज्योतिर्लिंग विशेष का पूजन कराया जाता है क्योकि बारह राशियां हैं और बारह ही ज्योतिर्लिंग भी हैं! इसलिए किस स्वरूप का पूजन करना है यह जान लें !
भगवान शिव तो औघड़ दानी हैं! प्रसन्न हो जाये तो कंगाल को भी राजा बना दें इसलिए सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिव का ही दर है! जो मांगोगे पाओगे बस पवित्र भावना लेकर जाओ !
भगवान शिव जो स्वास्थ्य के प्रदाता हैं जिनको कहीं चैन नही मिलता वह शिव के दरबार मे मिलता है इसके लिए महामृत्युंजय मंत्र महाफलदायी है! यदि किसी भी प्रकारसे स्वास्थ्य में सुधार न हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करिए!
गुरुदेव बताते हैं मृतसंजीवनी मंत्र -यह दो मंत्रों को जोड़कर बनता है महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र! जब इसका सम्पुट बनाकर जाप किया जाता है वह इतना प्रभावशाली होता है कि मुर्दे में भी जान डाल सकता है! इसलिए जब कुछ भी राह न दिखे तो कालो के कालमहाकाल तथा गायत्री मंत्र के इस सम्पुट को जाप करें, कृपा अवश्य प्राप्त होगी! इसका जाप करने की विधि को अवश्य जान लें!
भगवान शिव आंखे बंद करके बैठे हैं जो यह दर्शाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को ध्यानस्थ अवश्य होना चाहिए! अपने आनंद में, अपनी शांति में निवास करो! इस संसार मे रहते हुए भी संसार से ऊपर उठना है!
अंत मे भगवान शिवको पाना है तो सरल हो जाओ, सहज हो जाओ, ध्यानस्थ हो जाओ, लीन हो जाओ , शिवमय हो जाओ! भगवान के सिर से बहती हुई गंगा की धारा को अपने ऊपर आता हुआ महसूस करो और पवित्रता धारण करें!