अपने जीवन को कर्म से जोड़कर रखो, कर्म कभी छोड़ना नहीं क्योकि भाग्य तो परमात्मा के हाथमे है परंतु वह भी कर्मशील को ही दिया जाता है !
जो व्यक्ति भाग्य के सहारे ही बैठे रहते हैं, उन्हें सफलता प्राप्त नही होती :क्योकि भगवान भी उनको ही साथ देता है जो स्वयम अपना भाग्य निर्माण करने की शक्ति रखते है !
भगवान ने दो कर दिए हैं व्यक्ति को – कर्म करने के लिए -अन्यथा पशु, पक्षी, कीट, पतंग भोजन तो सभी को प्राप्त होता है पर यह उभय योनि है यानि आश्रित जीव हैं इसीलिए सर झुककर भोजन करते हैं: मनुष्य को भगवान ने रीढ़ सीधी दी दो हाथ दीये ओर कहा कि सर उठाकर रहो !
कर्मयोगी अपने जीवन मे आश्रय नही ढूंढता, भगवान का आश्रय लेकर मेहनत करता है और सफल जीवन का निर्माण करता है !
अपने भाग्य को जो कोसता रहेगा कि भगवान ने मुझे ऐसे संबंधी दिए, ऐसा परिवार दिया, ऐसा वातावरण दिया तो मैं क्या करूँ? उस दुर्गम राह में चलकर भी जो अपने भाग्यक निर्माण करता है वही कर्मयोगी है !
जो चट्टान काटकर भी अपनी राह निकल लें, जिसमे गुरुदेव ने उदाहरण दिया उस व्यक्ति का जिसकी पत्नी प्रसव पीड़ा के कारण म्रुत्यु को प्राप्त हुई,चिकित्सा के अभाव में, उसने दृढ़ संकल्प किया कि मैं पहाड़ काट कर रास्ता बनाऊंगा जिससे चिकित्सा के लिए मार्ग बन सके, उस व्यक्ति ने 20 साल तक कड़ी मेहनत करके मार्ग बनाया जो एक उदाहरण बन गया !
जब अंदर लगन हो पक्का इरादा, दृढ़ निश्चय तो व्यक्ति सफल अवश्य होता है : और उन्ही को कर्मयोगी कहा जाता है !
इसलिए भाग्य के भरोसे बैठकर अपना समय मत गंवाइए: कर्म शील बन कर रहो: चरै मैव, चरै मैव, चरै मैव — चलते रहो चलते रहो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो : संसार मे कुछ भी असंभव नही है यदि हम संकल्पवान बने !
अपने मार्गदर्शक यानि सदगुरु से आशीर्वाद लेते रहो वह शक्ति प्रदान करते हैं, मार्गदर्शन भी करते हैं पर मेहनत करना आपका कर्तव्य है : गुरु की कृपा ओर भगवान की प्रार्थना का मेल बैठाओ : सफलता आपके कदम चूमेगी!
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जय हो सदगुरु देव महाराज जी आपकी जय हो शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया आपकी हर दैन के लिए शुक्रिया आप सदैव स्वस्थ निरोगी रहे और आपकी दया दृष्टि सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे औम गुरुवै नम औम नमो भगवते वासुदेवाय नम