आत्मचिंतन के सूत्र: | ध्यान क्या है ,मन बुद्धि ,आत्मा का मौन हो जाना | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र: | ध्यान क्या है ,मन बुद्धि ,आत्मा का मौन हो जाना | Sudhanshu Ji Maharaj

ध्यान क्या है ,मन बुद्धि ,आत्मा का मौन हो जाना

ध्यान क्या है ,मन बुद्धि ,आत्मा का मौन हो जाना

ध्यान क्या है ,मन बुद्धि ,आत्मा का मौन हो जाना

जब कोई व्यक्ति आध्यात्म की ओर बढ़ता है तो प्रारंभिक चरण मे तो कर्मकांड ,पूजा पाठ यह सब विधियां करता है परंतु धीरे धीरे उसे समझ आता है कि अध्यात्म की चरम सीमा तो ध्यान ही है क्योंकि जब तक आप भगवान से connect नही होगें तब तक आप बाहर ही खड़े हो !

ध्यान कोई ऐसी क्रिया नही कि आप किसी भी प्रकार कर सकते हों ,ध्यान तो घटित होता है जब आप मौन हो जाते है परंतु उसके लिए सदगुरु का सानिध्य परम आवश्यक है -गुरु के निर्देश के बिना व्यक्ति के जीवन मे भटकाव ही रह जाता है !

ध्यान साधना

जब तक आप एक वातावरण नही बनाएंगे आपको ध्यान में सफलता नही मिल सकती क्योंकि हर बीज एक खास तापमान पर ही अंकुरित होता है ,इसी प्रकार आपके अंदर भी ध्यान का पौधा तभी उगेगा जब आप उचित, अनुकूल वातावरण में बैठेंगे !

और जब यही ध्यान गुरु के सनिध्य में और हिमाचल के पर्वत शिखरों के बीच किया जाए तो चमत्कार घटित होता है : साधना में जैसे पंख लग गये हो क्योकि एक ओर गुरु की कृपा की रश्मियां दूसरी ओर सुरम्य, शांत वातावरण जैसे catalyst का काम करती है !  इन्ही का समाधान करने के लिए गुरुदेव ने मनाली के साधनधाम का निर्माण किया जिससे साधक वहां आकर उस ऊर्जा को ग्रहण कर सकें जो ब्रह्मांड में बिखरी हुई है !

सात पर्वत श्रृंखलाओं के बीच , सामने व्यास नदी की कलकल ध्वनि , एकदम शांत वातावरण जहां पक्षियों की चहचहाट के सिवा कोई ध्वनि न हो : ऐसे स्थान पर साधना कराने के लिए गुरुदेव हर वर्ष निमंत्रण देते हैं अपने प्यारे शिष्यों को !

परम सौभाग्यशाली होती है वह आत्माएं जो गुरु की सन्निधि में बैठकर उस वातावरण का आनंद लेते हुए ध्यान की अतल गहराइयों में डुबकी लगाते हैं -धन्य हैं हमारे सदगुरु जो सोई हुई आत्माओ को झकझोर कर उठाने के प्रयास में लगे हैं !

चांद्रायण तप साधना 

जो गुरुदेव के सानिध्य में की जाती है ,जिसका वर्णन भगवान कृष्ण ने गीता में भी किय, अद्भुत प्रभाव लाती है! जन्म जन्मान्तरों के पापों को जलाने के लिए और सौभाग्य जाग्रत करने के लिए व्यक्ति को अपने जीवनकाल में यह साधना अवश्य करनी चाहिए !

गुरु के आशीर्वाद और भगवान की अनंत कृपाओं को पाने का यह अनुपम माध्यम है, प्रकृति के सुरम्य वातावरण में बैठकर अपनी सुप्त शक्तियों को जाग्रत करने का अवसर चूकने न दें: जीवन तो यूं ही पूरा हो जाएगा ! इस मानव देह में अपनी चेतना को जाग्रत करके अपना लोक औऱ परलोक दोनों सुधारने चाहिए !

इसलिए सभी साधकों को यह संदेश समझना चाहिए कि कब तक सोये रहोगे ,जागो ओर जीवन का उद्धार करो -अपने भाग्य को सराहो कि प्रबुद्ध सदगुरु आपके जीवन मे आये हैं , चलें मनाली की ओर अपनी यात्रा को सार्थक बनाये ,गुरुकृपा से मालामाल हो जाये !

 

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