प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसी घडि़यां आती हैं जब अपमान होने से, आर्थिक स्थिति खराब होने से, बीमारी बढ़ जाने से, गृह क्लेश से, व्यापार में घाटा हो जाने से । संतान की असफलता से या अकस्मात, अकारण किसी आघात की विपरीत स्थिति से व्यक्ति के मस्तिष्क में एक अजीब सी निराशा का जन्म हो जाता है उसके मन में तनाव के कारण विनाशकारी तत्व उत्पन्न हो जाते हैं। जो व्यक्ति के हौसले को तोड़ने लगता हैं। मन में बुरे विचार आने लगते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता, मैं कुछ नहीं कर सकता। बुरा समय है कोई साथी साथ नहीं देता, पैसा पास नहीं है, कोई सहारा नहीं है और मन टूटने लगता है।
ऐसी कठिन स्थिति व्यक्तिगत ही नहीं संस्थागत या संगठन के सामने भी आ जाती हैं। लेकिन ऐसे समय में अपना ही नहीं बल्कि पूरे दल का मनोबल बनाए रखना होता है। ऐसे समय में आगे बढ़कर नेतृत्व करना ही व्यक्ति का कर्तव्य होता है। तनाव के अंधेरों में लोगों को डूबने न दें, हर स्थिति में उनकी हिम्मत बनाए रखें।
जिस नेल्सन ने नेपोलियन को वाटर लू में हराया था वह व्यक्ति वाटर लू के युद्घ से पहले एक और देश पर चढ़ाई करने गया था। पानी के जहाजों को किनारे पर लगाया और नियम के मुताबिक सबसे पहले सेनापति धरती पर उतरा, लेकिन जैसे ही सेनापति ने पहला कदम रखा वह ठोकर खाकर गिर पड़ा। सैनिक एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। इशारा करने लगे कि यह तो शगुन ही बिगड़ गया। अब तो हमारी हार निश्चित है। सेनापति ने यह दृश्य देखा तो जहाज से सब सैनिकों को नीचे उतारा और पंक्ति में खड़ा किया।
‘‘देखो मित्रो! परमात्मा हमारे साथ है और उसका आशीर्वाद हमें आते ही मिल गया। उसका संकेत यह है कि इस देश की भूमि, भगवान ने आते ही हमारे हाथों में दे दी। इसलिए मैंने आते ही गिरकर दोनों हाथों से जमीन थामी है। इसका मतलब हम ही जीतेंगे और ये जमीन हमारी ही होने वाली है।’’
यह कह चुकने के बाद उसने सोचा कि हो सकता है कुछ लोग गद्दारी या कायरता मन में ले आए हों। इसलिए उसने तोपों से अपने जहाज उड़ा दिये। उसने फिर कहा, ‘‘मित्रों! अब पीछे हटने का मार्ग नष्ट हो चुका है। मेरा विश्वास है तथा प्रभु का आशीर्वाद है जीत हमारी ही होगी। प्रभु का ही आदेश है कि जमीन को थाम ले, जल्दी से इसलिए उन्होंने धरती मुझे इस प्रकार जोर से पकड़वाई।’’ कहने को ये सिर्फ शब्द थे पर शायद इन्हीं शब्दों का प्रभाव था कि कमजोर पड़ रहे सैनिकों की शक्ति दस गुनी हो गई और उनकी जीत हुई।
इस कहानी का अर्थ यह है कि मानव जीवन में कई अवसर ऐसे आते हैं जब निराशा घेर लेती है। सभी स्थितियां विपरीत नजर आती हैं। ऐसी स्थिति में स्वयं का, अपने परिवार का तथा अपने दल का हौसला बढ़ाए, धैर्य धरण करें। आपकी सफलता निश्चित है। गोस्वामी जी कहते हैं- धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परखिये चारि।
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सादर आभार व्यक्त करती हूं गुरू वर जी
आपने गिरने दिया ही नहीं सदा आप सम्भाले हुए हो
परिस्थितियां जैसी भी हो गुरू वर आपका कृपा भर हाथ साथ रहता है। हर परेशानियों में भी राह मिल जाती है। मुझे डर कैसा आप का आशीर्वाद हमेशा रहता ही रहता है ।
सादर धन्यवाद आपकी कृपा का गुरूवर जी ❤️❤️