अधिकांशतया मनुष्य अपने जीवन को ऐसे ही जी कर चले जाते है पता ही नही चलता कि जीवित था भी या नहीं- क्योकि उनके जीवन में न तो कोई नियम थे न सुव्यवस्था – अंधाधुंध जिंदगी जी और इस धरती धाम से चले गए !
जीवन को सफल बनाने के लिए हमे संकल्पित होना पड़ेगा । जब तक आपका निश्चय नही पक्का होगा तब तक आप कोई ऊंचाई नही प्राप्त कर सकते : सब यही कहते रह जाते हैं कि अभी तो समय हाथ से निकल गया अब क्या होने वाला है !
परंतु जब आप अपने समय का, अपनी बुद्धि का सही उपयोग करते हैं तब वह मूल्यवान बनता है । भगवान ने एक निश्चित अवधि के लिए ही तो आपको धरती धाम पर भेज है : रोज दिन निकलता है और सांझ होती है :: इसी सुबह और शाम के बीच जीवन पूरा हो जाता है -, विदाई की घड़ी आ जाती है ! जब तक आप प्रत्येक क्षण का सही उपयोग नही करेंगे और अपनी विचारधारा को उन्नत नही करेंगे तब तक कुछ हासिल नही होगा !
कुछ लोग अपने इस कमी का जिम्मेदार दूसरोंको ठहराते हैं कि मैं तो कुछ कर पाता परंतु घर के लोगो ने साथ नही दिया या मुझे बाधा पहुंचाई : अपनी ज़िंदगी के मालिक आप स्वयं है , दुनिया तो बाधा डालेगी पर उन बाधाओ को लांघते हुए अपना मार्ग बनाइये और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाइये !
इसमे हमारी संगति ओर कैसे विचार वाले लोगो के बीच हम रहते हैं यह प्रभावित तो करता है पर हमें चयन करना होगा कि हमारा सही मार्ग क्या है – किधर जाना है, किधर नहीं, क्या करना उचित है और क्या अनुचित ! अपना मूल्य जानिए जब तक आप अपना मूल्य स्वयम नहीं जानेंगे ,आपको कौन कीमत देगा ।अपने दृढ़ संकल्प, नियमित एवम मर्यादित जीवन, अपने दिनचर्या के सुंदर व्यवस्थित नियम ::: यह सब आपको ऊंचा उठाने में सहायक हैं !
ओर जो सबसे अहम भूमिका निभाते हैं वह हैं आपके गुरु और भगवान की शक्तियां – क्योकि जब तक व्यक्ति गुरुचरणों में संकल्पित नही होता, उसके जीवन मे कठोर नियम धारण करने की क्षमता आती ही नहीं। गुरु वह ग्यानचाक्षु प्रदान करते हैं कि हम जीवन की सत्यता को जान सकें और इसी मनुष्य योनि में जो चौरासी लाख योनियों के बाद प्राप्त हुई, दुर्लभ है , अपना कल्याण कर सकें !
हरि ओम !
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Super