चिंता है दीमक जो 100 दिन में ही बड़े से बड़े पेड़ को भी गिरा देती है!
चिंता से भागा नहीं जाता…चिंता आती है इस लिए जिस से की आप अपनी समस्याओं को ठीक से समझो और उनसे निपटें!
अपनी समस्याओं की पहचान करें और संभावित समाधान खोजें!
फिर अपने भगवान के पास जाओ और उनसे प्रार्थना करो की भगवान तुम ही सब करने वाले हो, आप ही संभालने वाले हो, मुझे विश्वास है की मेरी मेहनत और तेरी रहमत से काम बनेगा और में हर चिंता को हरा पाऊँगा!
मॅन ही मॅन अपनी चिंता अपने गुरु को अर्पण करदो!
अपनी चिंता का चिंतन नहीं करना, प्रभु नाम का चिंतन करना!
दिन में केवल २ या ३ बार चिंता से मीटिंग करना, ज़्यादा समय समाधान खोजने में लगाना!
दुखों चिंताओं की आँधियाँ आपको तोड़ सकती हैं लेकिन गुरु के वचन तुम्हें इनसे लड़ने की शक्ति देते हैं.
ज़िंदगी के रथ से उतर कर भागा नहीं जा सकता ….रथ पर सवार होकर समस्याओं का सामना करो….ऐसा सिखाया श्री कृष्ण ने….उन्होने जगाया अर्जुन को!
5 Comments
Very good
satguru tumhare pyar nhi jeena sikha diya
y shabd nhi h,sanjeevne bute hei
shri charnkamlo mei koti koti nmn
very nice
Yahi sahi hai,chinta kanu chahat hai,par jati Nani, yahi pap ke saja hai,jab chinta ho to samajan pap joro par hai