जब आप अनुशासित होते हैं तो स्वयं के मित्र बनते हैं!
विचारशील मनुष्ये को सोच समझ के कार्य करना चाहिए ! हमें अपना हित उनहित देखना चाहिए!
जो स्वयं का मित्र बन जाये वह व्यक्ति स्वयं का उद्धार कर सकता है! स्वयं का मित्र है वह जिसने स्वयं को स्वयं के द्वारा जीत लिया है!
जो ऐसा नहीं कर पाया वह स्वयं का ही सबसे बड़ा शत्रु बन गया!
सोचना आपको है की स्वयं का मित्र बनना है या शत्रु?
सूरज के स्वागत के लिए पहले ही जागना चाहिए ! सूरज तुम्हें नहीं जगाये , तुम सूरज को जगाओ!
सूरज जगाओ अपने भीतर जिससे तुम दुनिया को जगा सको!
माँ बाप व्यक्ति को सँभालने के लिए कुछ समय के लिए ही होते हैं! उसके बाद तो आपको स्वयं ही स्वयं को समझाना भी है और ऊंचे उठाना भी है!
जब तक जीवन चलता है आपको हर दिन कुछ न कुछ सीखना होता है!
अगर हमनें अपने दरवाजे बंद कर लिए तो सूरज उगने का कोई फायदा नहीं!
जिनको अपनी ज़िन्दगी को खिलाना है उन्हें यह कहना चाहिए की प्रभु की कृपा हर समय मेरे साथ में है
जिसको ज़िन्दगी को ऊँचाई तक ले जाना होता है उसे गमले का पौधा नहीं बनना होता, उसे तो मरुस्थल में उगनेवाले उस पौधे की तरह होना होता है जहाँ तेज लूएँ चलने के बाद भी खिला रहता है!
जीवन का जो अवसर मिला है उसमें व्यक्ति को हर समय सावधान होना चाहिए!
जिस समय आप अपने स्मृति में आ जाते हैं, उसी समय आप बोध में आ जाते हैं!
जहाँ ज़िन्दगी है तुम वहीँ रहो और वहीँ ध्यान करो!
तेरी भक्ति का रस जो पिया तो मन करता है की इस दुनिया को जैसी है वैसी न रहने दूँ! इस में तेरा प्यार फैला दूँ!
जिस रात्रि में सारी दुनिया सोती है, कोई मुनि जागता है उस समय परमात्मा के ध्यान में!
दुनिया के लिए सो जाओ और परमात्मा के लिए जाग जाओ! गुरमुख हो जाओ!
जीवन ख़त्म हुआ तो जीने का ढंग आया! इस लिए जल्दी से जल्दी अपने आप को संभालना शुरू करो!
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Sader Hari Om Ji