जीवन को तराशना है तो यह आत्मकल्याण के सूत्र अपनाओ! | आत्मचिंतन | Sudhanshu Ji Maharaj

जीवन को तराशना है तो यह आत्मकल्याण के सूत्र अपनाओ! | आत्मचिंतन | Sudhanshu Ji Maharaj

जीवन को तराशना है तो यह आत्मकल्याण के सूत्र अपनाओ!

आत्मचिंतन के सूत्र:

जीवन को तराशना है तो यह आत्मकल्याण के सूत्र अपनाओ!

जीवन को तराशना है – संसार में हर वस्तु का मूल्य चुकाना होता हे ! बिना तप किये, बिना कष्ट सहे आप अधिकार, पद, प्रतिष्ठा, सत्ता, सम्पति, शक्ति प्राप्त नहीं कर सकते, अत: आपको तपस्वी होना चाहिए आलसी, आराम पसंद नहीं!

जीवन के समस्त सुख आपके कठोर पर्रिश्रम के नीचे दबे पड़े हैं, इसे हमेशा याद रखिए! शुन्य के साथ कितने भी शुन्य जोडों लेकिन उनका कोई मूल्य नहीं। इसी प्रकार संसार की सारी भौतिक संपदा आपके पास हो लेकिन परमात्मा के बिना उसका कोई मूल्य नहीं।

उपयोगी है : भोजन, जो पच जाय। धन, जो जीवन में काम आए। रिश्ता, जिसमें प्रेम हो। भगवान् यदि परिक्षा लेते हैं तो उसके उपरान्त योग्यता भी देते है।

लक्ष्य को पाने का मूलमंत्र

वह व्यक्ति धरती की शोभा बनता जो अवसर को पहचाने और जीवन की सबसे कीमती वस्तु यानि समय को व्यर्थ न जाने दें। एकांत और मौन व्यक्ति को महान बनाता है।

बुराई इसलिए नहीं पनपती कि बुरा करने वाले लोग बढ़ गये हैं बल्कि इसलिए पनपती है कि उसे सहन करनेवाले लोग बढ़ गये हैं। किसी महान लक्ष्य को पाने का मूलमंत्र है संगठित होकर कार्य करना!

जैसे ऐक पत्थर को तराशने से सुन्दर मूर्ति बन सकती है ऐसे ही कर्मों के सहारे ज़िन्दगी को तराशने से ज़िन्दगी का स्वरूप बहुत सुन्दर बन सकता है।

Atmachintan Ke Sutra 

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