श्रावण मास के अधिष्ठातृ देव देवाधिदेव महादेव जी का विशेष महत्व है। आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए जहां और देवता शयन करते हैं वहीं महादेव जागते हैं। यह चतुर्मास भगवान शिव के जागरण का काल है। चतुर्मास के चार महीनों में श्रावण माह में प्रकृति में जल की अधिकता तथा हरी-भरी वनस्पतियों व चन्द्र की पृथ्वी के समीप स्थिति के आधार पर शिव आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। चन्द्रदेव को मन का अधिष्ठातृ देव तथा शिव भगवान का शिरोभूषण कहा गया है तन-मन की प्रसन्नता तथा औघढ़दानी महादेव की पूजा, आराधना रुद्राभिषेक के द्वारा पुण्यलाभ प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ समय है श्रावण का पवित्र महीना।
इस वर्ष श्रावण माह का प्रारम्भ 6 जुलाई 2020 सोमवार से दिनांक 3 अगस्त 2020 पूर्णिमा (रक्षाबंधन पर्व) तक तीस दिनों के लिए रहेगा। यह माह भगवान शिव की आराधना हेतु विशेष पुण्य फलदायी माना जाता है। श्रावण माह में प्रत्येक तिथि एवं प्रत्येक दिन शिव जी की आराधना के लिए समर्पित होता है। इसमें सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी, पूर्णिमा आदि तिथियां व दिन शिव आराधना के महत्वपूर्ण योग बनते हैं। जिनमें भक्त सदाशिव जी का विविध विधियों एवं मनोकामनाओं के अनुसार अलग-अलग सामग्रियों के मिश्रण से रुद्राभिषेक करके लौकिक तथा पारलौकिक सुख की अनुभूति करते हैं।
रुद्राभिषेक की अनेक विधियां होती हैं जैसे-
1. रुद्राष्टाध्यायी की एक सम्पूर्ण आवृत्ति से अभिषेक करना, ‘‘रुद्राभिषेक’’ कहलाता है।
2. रुद्राभिषेक को विशेष रूप से पंचम एवं अष्टम अध्याय की ग्यारह आवृत्तियों से अभिषेक करने को ‘‘एकरुद्र’’ कहते हैं।
3. ग्यारह रुद्रों को ‘‘एक लघुरुद्र’’ कहते हैं।
4. ग्यारह लघुरुद्रों का ‘‘एक महारुद्र’’ होता है।
5. ग्यारह महारुद्रों का एक ‘‘अतिरुद्र’’ कहलाता है।
श्रावण महीने में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए गुरुतीर्थ आनन्द धाम में प्रतिदिन शिव पूजन, रुद्राभिषेक की व्यवस्था की गई है।
आप रुद्राभिषेक का पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गये फोन नम्बरों पर सम्पर्क करके पूर्व में ही यजमान बनकर अपना स्थान आरक्षित करवा लें, जो भक्त किन्हीं परिस्थितियोंवश आनन्दधाम आश्रम में आकर रुद्राभिषेक में सम्मिलित नहीं हो सकते हैं वे संकल्पित यजमान बनकर भी रुद्राभिषेक का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। संकल्पित यजमानों के नाम, गोत्र से संकल्प लेकर उनके लिए गुरुकुल के आचार्यों एवं ब्रह्मचारियों को उनका प्रतिनिधि बनाकर रुद्राभिषेक करवाया जायेगा। श्रावण में भगवान शिव की कृपा पाने का यह सुनहरा अवसर है, इसे हाथ से जाने न दें।
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Namaste,
I m interested in rudrabhishek, on 3rd August
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