राष्ट्रीय एकता दिवस(31 अक्टूबर)
भारत एक विशालकाय देश है। इसके अलावा यह ऋषि परम्पराओं वाला एक ऐसा देश है, जहाँ पर बड़ी मात्रा में सनातनी परम्परा के लोग निवास करते हैं। सनातनी परम्परा के लोगों में एक दूसरे के प्रति सद्भाव और दूसरों की सहायता करने की प्रवृत्ति बहुत अधिक होती है। भारत में विभिन्न जाति, धर्म,समुदाय, नस्ल, संस्कृति, पंथ, परम्पराओं से सम्बन्ध रखने वाले लोग सदियों से एक साथ रह रहे हैं। हमारे देश के खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा में भी भारी विविधता और अनेकता है। हमारे राष्ट्रीय पर्व, उत्सव-त्योहार, व्रत-उपवास हैं तो समान, पर उन्हें मनाने के रंग-ढंग में स्थानीय झलक जरूर देखी जा सकती है। अनेकता में एकता की यही मिसाल भारतवर्ष को एक अलग देवभूमि के रूप में गौरव प्रदान करती है।
किसी भी देश की राष्ट्रीयता के लिए उसकी भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक बाध्यता होना अति आवश्यक होती हैं। पुराने समय में भारत की भौगोलिक सीमाएँ इतनी विशाल नहीं थी और देश में अनेक छोटे-छोटे राज्य थे, इसके बावजूद इस देश की संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी। दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय तक और पूरब में असम से पश्चिम में सिन्ध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक ही थे। इस प्रकार की एकता एवं समरसता ही हमारी राष्ट्रीय एकता की नींव थी। देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में राज्य की अपनी-अपनी अलग परम्परा, रीति-रिवाज व आस्थाएँ थी, इसलिए समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में बँधा हुआ था।
हमारे देश में विदेशी शासकों के कारण ही हमारी मूल संस्कृति का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ है। इस महान देश में रहने वाले व्यक्तियों ने विभिन्न प्रकार की धार्मिक और सामाजिक समस्याओं का सामना किया, जिसमें वर्ष 1947 में भारत का बँटवारा, वर्ष 1992 में विदेशी आक्रांताओं के अत्याचार के प्रतीक बाबरी मस्जिद ढांचे का अयोध्या में विध्वंस, अनेकों बार हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगे, कश्मीर में धार्मिक कट्टरवाद का आतंकवाद, नक्सली आतंकवाद,जातिवादी हिंसा आदि शामिल हैं। भारत देश में अनेकों बाधाएँ हैं, जिनमें से मुख्यतः भाषा की बाधा, अस्पृश्यता की बाधा और सामाजिक स्थिति की बाधा। इन सभी बाधाओं में काफी हद तक परिवर्तन भी हुआ है, परन्तु देश की राजनीतिक पार्टियों के अपने राजनैतिक स्वार्थ के कारण इनको पूर्ण रूप से मिटाया नहीं जा सका है।
भारत के लोगों में सहनशीलता एक बहुत बड़ा गुण है। परन्तु जब व्यक्तियों की सहनशीलता पर प्रहार होने लगता है और जुर्म हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो उससे जागरूकता उत्पन्न हो जाती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि भारत में एक बार राजनीतिक एकता दिखाई दी थी, जब सभी भारतवासियों ने मिलकर 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। अंग्रेजों ने भारत में बाॅंटो और राज करो की नीति अपनाई थी, लेकिन बाद में वे अपनी इस नीति में असफल हो गये थे।
सरदार पटेल बड़े धीर-वीर थे: घटना सन १९४६ की है। बंबई बंदरगाह के नैसैनिकों ने विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया। अंग्रेज़ अफ़सरों ने भारतीय नौसैनिकों को गोलियों से भून डालने की धमकी दे दी, तो बदले में भारतीय सैनिकों में अंग्रेज़ों को ख़ाक करने की चुनौती दे दी। जब सारे प्रयास के बावजूद हल नहीं निकला तो सरदार पटेल को बीच-बराव करने मुम्बई जाना पड़ा। बम्बई के गवर्नर ने उन्हें राजभवन बुलाया और भारतीय नौसैनिकों के दुस्साहस के लिए उन पर नाराज़ होने लगा। इस पर सरदार पटेल भड़क गये और शेर की तरह दहाड़कर ब्रिटिश गवर्नर से बोले- “आप अपनी सरकार से पूछ लें कि अंग्रेज़ भारत से मित्रों के रूप में विदा होंगे या लाशों के रूप में।” अंग्रेज़ गवर्नर सरदार बल्लभ भाई पटेल का रौद्र रूप देखकर काँप उठा फिर उसने कुछ ऐसा किया कि बम्बई नौसेनासंघर्ष प्रसंग में अंग्रेज़ सरकार को भारतवासियों से समझौता करते ही बना।
भारत इसलिए महान कहा जाता हैं क्योंकि इसमें सांस्कृतिक एकता, रक्षात्मक निरंतरता, संविधान, कला, साहित्य, सामान्य आर्थिक समस्याएँ, राष्ट्रीय ध्वज,राष्ट्रगान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जाता रहा है। विभिन्न धर्म और जाति होने के बावजूद भी एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने के लिए हम सब एक हो जाते हैं।
पूरे विश्व में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश के रूप में भारत को गिना जाता है, जहाँ पर 1652 भाषाएँ बोली जाती है और विश्व के सभी मुख्य धर्म के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद भी हमें बिना किसी राजनीतिक और सामाजिक विरोधाभास के शान्ति से एक-दूसरे के साथ रहना बहुत ही जरूरी है।
किसी भी राष्ट्र की एकता वह शक्ति है, जिसके बल पर कोई देश, समाज, सम्प्रदाय उन्नति के रास्ते पर दिन प्रतिदिन अग्रसित होता रहता है। जो देश गुलामी की जिन्दगी जी रहे थे, उन्होंने एकता के बल पर ही अपने राष्ट्रों का निर्माण किया है। किसी भी देश की राष्ट्रीय एकता को सदैव बनाये रखने के लिए,उस देश में रहने वाले लोगों को जागरूक, समझदार और उदार हृदय का होना अति आवश्यक है। प्रत्येक जाति, धर्म, सम्प्रदाय या वर्ग को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि देश रहेगा, राष्ट्र रहेगा तभी सबका अस्तित्व रह पाएगा।
वर्तमान समय में हमारे देश की राष्ट्रीयता के सामने अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। आज कुछ अराजक तत्व, अंदरूनी और बाहरी शक्तियाँ हमारी एकता को खंडित करने पर आमादा हैं, ताकि हमारी राष्ट्रीयता को नुकसान हो सके। इस प्रकार के व्यक्ति धर्म के नाम पर, जाति या वर्ग-विशेष के नाम पर तथा अनेकों बार प्रांतीयता की संकीर्ण भावनाओं को भड़काने की कुचेष्टा करते हैं। इस प्रकार की गतिविधियों से हमें सावधान रहना होगा। हमें अनुशासन तथा आपसी सहयोग के वातावरण को बनाए रखना होगा।
हर्ष की बात है कि देश में राष्ट्रीय एकता के लिए वर्ष 2014 में सरदार पटेल की जयन्ती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया गया था और तभी से केन्द्र सरकार और सभी राज्यों की राज्य सरकारें 31 अक्टूबर को हर वर्ष वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में इस खास दिन को मनाती आ रही हैं। राष्ट्रीय एकता दिवस को भारत सरकार द्वारा पेश किया गया था और भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेद्र भाई मोदी द्वारा इस खास दिन का उद्घाटन-श्रीगणेश किया गया था। इसका उद्देश्य सरदार बल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देना है, जो भारत को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे तथा देशवासियों से यह निवेदन करना है कि वे अपने पूर्वजों के समान ही एकता के सूत्र में बंध जाएं, क्योंकि सही मायनों में व्यक्ति की उन्नति ही देश की उन्नति है।
हमारे देश में प्रख्यात लौह महिला यानी आयरन लेड़ी के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के दौरान कहा था कि हम जब-जब असंगठित हुए, हमें आर्थिक व राजनीतिक रूप में इसकी कीमत चुकानी पड़ी। हमारे विचारों में जब-जब संकीर्णता आई, आपस में झगड़े हुए। हमने जब कभी नए विचारों से अपना मुख मोड़ा, हमें हानि ही हुई, हम विदेशी शासन के अधीन हो गए। इससे हमें सावधान रहना होगा।
निष्कर्षः-
इसमें कोई दो राय नहीं है कि राष्ट्रीय एकता सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की आधारशिला होती है। राष्ट्रीय एकता के छिन्न-भिन्न होने पर किसी भी देश की स्वतन्त्रता को हमेशा खतरा बना रहता है। राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारे का कायम रहना बेहद जरूरी है, भले ही उनमें वैचारिक और धार्मिक असमानता क्यों न हो। भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन एवं आस्था में अन्तर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग-अलग हैं। इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत-प्रोत हैं, उसे राष्ट्रीय एकता का विश्व भर में सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि भारत की एकता तथा चेतना समय की कसौटी पर सही सिद्ध हुई है। आशा की जाती है कि हमारे देश की यह उदात्त भावना सदैव बनी रहेगी।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर विश्व जागृति मिशन की ओर से सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं लौह पुरुष सरदार पटेल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
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The name of Sardar Patel gives us strength and inspiration. He will reside eternally in the heart of every Indian.