गुरुदेव ने सदा ही रिश्तों को अहमियत दी है – घर मे अगर आप अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक से करते हैं तो यह भक्ति का अहम सूत्र है!
भक्ति के लिए एक वातावरण आवश्यक है यदि शांति का माहौल नही होगा तो भक्ति भी नही सफल होगी, इसलिए अपने को शांत करें और सहनशीलता बढ़ाते हुए रिश्तों को मजबूत करने का प्रयास करिए
-सबसे पहले अपने रिश्तों को प्रेम की डोर से बांधे रखो..
-अगर गलती ना भी हो तो झुको और माफ़ी माँगो क्योंकि आपकी ego और अहम से ज़्यादा क़ीमती आपका रिश्ता है..
-किसी तीसरे को अपने रिश्ते के बीच में आने मत दो..
-याद रहे रिश्ता पनपता बरसाशत और त्याग पर है और टूटता स्वार्थ पर है..
-कोई भी इंसान सर्वगुन सम्पन्न नहीं होता..हर एक को अपनी ताक़त और कमजोरी से स्वीकार करो
-बड़े बनो..अपना बड़प्पन क़ायम रखो
-समझदार भी बनो… विवेकी आदमी आग नहीं बाग लगाता है!
गुरुदेव कहते हैं आज का जो कठिन दौर चल रहा है इसमें तो और भी ज्यादा प्रेम और सौहार्द का वातावरण बनाइए
अपने को संतुलित कीजिये, शांत कीजिये, प्रेमपूर्ण कीजिये और भक्ति की सीढ़ियां दूर नहीं दिखेंगी!
गुरुदेव के निर्देशों का पालन करते हुए अपना जीवन आदर्श जीवन बनाना है!
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️ AAJ YE VACHAN PADH K BAHOOT SANTI MILI JAI GURU DEV