आइए दोनों हाथ जोड़कर और प्रेम से आंखें बंद करके भगवान के चरणों में अपना ध्यान लगाएं।
हे परमेश्वर सच्चिदानंद स्वरूप सर्वशक्तिमान दयालु कृपालु, हे असीम, हे अनंत, हे पतित पावन हम सभी श्रद्धाभाव से आपको प्रणाम करते हैं प्रभु।
अनंत कृपायें आपकी हैं सबकी रक्षा करने वाले सबका ध्यान रखने वाले सबको सब कुछ देने वाले आप ही तो हो। आप ही से सारे रिश्ते हैं माता पिता बंधु सखा जीवन का आधार जीवन का सहारा सब कुछ आप ही हैं।
दयालु प्रभु हमें वह सुबुद्धि दो जो हमें लक्ष्य के लिए सही निर्णय दे सके वह मन दो जिसमें दृढ़ निश्चय और लगन लगे हृदय में वह भावावेष दो कि लगातार उत्साह के साथ हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें,
हमारे हाथ निरंतर कर्मशील रहें और हमारा यह शरीर कार्यों में और लक्ष्यों में लगातार लगा रहे ऊर्जा की कमी ना आए और जब तक इस दुनिया में हम रहें स्वस्थ रहें निरोग रहें हमें किसी के सहारे की कभी जरूरत ना पड़े सहारा देने वाले बनें सहारा लेने वाले ना बनें
आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर हों शरीर से भी हम आत्मनिर्भर रहें मानसिक रूप से भी आत्मनिर्भर रहें आत्मनिर्भरता जीवन में बनी रहे।
हे प्रभु प्रार्थना को स्वीकार कीजिए सबका ही कल्याण करना, आपके दर से लगे हुए जो भी लोग बैठे हैं झोली फैलाए हुए हैं।
सब पर दया करना, हर कोई कुछ न कुछ चाहता है आप ही से आस है और आपका ही विश्वास है प्रभु दया करना प्रार्थना को स्वीकार कीजिए।