हे कृपालु! हे जगदाधार! जगदीश! हम सभी आपको श्रद्धा भरा प्रणाम अर्पित करते हैं प्रभु! आप सबके हैं, सबमें हैं, अंतर्यामी हैं, हमारे मन में हैं, हमारे भीतर जो भी कुछ विचार-भाव चलते हैं सब आपको मालूम है। हम कितने खोटे हैं, कितने खरे हैं, कितने अच्छे हैं, कितने सच्चे हैं, सब कुछ आपको मालूम है।
हमारी यही आस और यही विश्वास है कि जीवन की इस यात्रा में प्रतिदिन हमारा विकास हो, स्वयं का निर्माण करें, स्वयं का उत्थान करें, अपने में सुधार करते-करते हम इस योग्य बन सकें कि आपके चरणो में बैठ सकें, आप तक पहुंच सकें और जन्मों की इस यात्रा में जो भी हमारी आत्मा पर कलुष लगे हैं उन सब कलुषों को, कालिमा को हम स्वच्छ कर सकें, धो सकें।
एक शुद्ध आत्मा के रूप में हम आप तक पहुंचे और जन्मों की यह दुख की यात्रा समाप्त हो। स्वर्ग से मुक्ति तक हमारी यात्रा बढ़े। भूलोक से शिवलोक तक हमारी यात्रा हो। मृत्यु लोक से हम अमृत लोक की ओर जा सकें। हमारे भीतर जो भी जन्म-जन्मांतरों के कुसंस्कार हैं, उन सब को हम धो सकें। भगवान हमें भक्ति दीजिए, नाम जपने की शक्ति दीजिए, सेवा करने का सामर्थ्य प्रदान करो।
सहज हों, हर दिन आपका नाम जपते-जपते जीवन को और ऊंचा उठाएं। जो भी हमारे कर्तव्य कर्म इस दुनिया में हैं वह हम पूर्ण कर सकें, सब दायित्व निभा सकें। कोई कर्ज सिर पर किसी के ना रहे और सभी अपना फर्ज निभाते हुए इस संसार में अपने उन सभी कर्तव्यों को पूर्ण कर सकें जो हमारे लिए दायित्व हैं। हम यह भी प्रार्थना करते हैं प्रभु! अशांत लोगों के बीच उनका प्रभाव हमारे अंदर ना आए।
अशांति के वातावरण की दुनिया में शांत रह सकें उत्तरदायित्व से भागने वाले लोगों के बीच भी हम अपना उत्तरदायित्व निभा सकें। क्रोध करने वाले लोगों के बीच हम अपने भीतर शीतलता बनाए रख सकें और जो लोग कायरता अपनाते हैं उन्हें देखकर हम कायर ना बनें, वीर बने रहें। जिन लोगों ने भक्ति का मार्ग छोड़ दिया और वे हमें भी बरगलाते हैं उनके बीच रहकर भी हमारी भक्ति सुदृढ़ हो, बेईमान-छली-कपटी लोगों के बीच भी हमारी ईमानदारी कायम रहे, कपट रहित रहें, शुद्ध पावन रहें, सद्गुरु के प्रति हमारी श्रद्धा विश्वास पूर्ण हो और सुने हुए ज्ञान के अनुरूप जीवन को बना सकें।
हर दिन का अच्छे से उपयोग हो सके। अपने समय का ठीक से उपयोग कर सकें, शक्तियों का सामर्थ्य का ठीक से उपयोग कर सकें, यह समझ यह विवेक हमें प्रदान करो प्रभु। हमारा जीवन धन्य हो। हम समस्त कृपाओं के प्रति धन्यवाद करते हैं। आपके दर से जुड़े हुए जितने भी भक्त आपके सम्मुख हैं सबकी फरियाद सुनना और सबकी झोलियां भरना यही विनती है प्रभु स्वीकार कीजिए।