हे प्रभु ! परम पिता परमात्मा ! मुझे अपनी अन्दर की शीतलता को सुरक्षित रखना शिखा दो, जब अपने लोग उग्र रहे हो।
अपने कर्तव्य का पालन कर सकूँ जब अन्य सब कर्तव्य से जी चुरा रहे हो
मेरा भलाई में कभी विश्वास क्षीण ना हो। उत्तम विचार सदा धारण करूँ, कर्म सुकर्म हो
मै अपना विवेक सदा सुरक्षित रखूँ , तब भी जब दुसरे विवेक खो रहे हो।
मै सदा होश में रहूँ जब दुसरे सब होश खो रहे हो।
मै सदैव न्याय पूर्ण उपयुक्त कदम उठा सकूँ संतुष्ट रहूँ आनंद में झूमते हुये प्रत्येक दिन को बिताने की कोशिश करूँ
मै संतुष्ट रहूँ मेरी वाणी मधुर शन्त हो तब भी जब मेरे ऊपर क्रोध की बौछार हो रही हो,
मै सदा वो ही करूँ जो उचित हो और उसीको करने में सुख अनुभव करूँ, भगवान मुझे आशीर्वाद दो,
हे इश्वर अगर हम वो न कर सकें जो आप चाहते हो, तो हममे इतनी समझ देना हम वो भी ना करे जो आप नहीं चाहते है।
एहि आपसे हमारी विनती है कृपया स्वीकार कीजिए।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॐ!
सादर हरि ॐ जी !!
3 Comments
ॐ सद्गुरु चरणकमलोभयं नमः!हे सद्गुरु देव!आपकी सदा ही जय हो!सदा सभी का शुभ,मंगल व कल्याण हो!ऐसी मंगलप्रार्थना है!सादर हरि ॐ जी!ॐ गुरुवे: नमः!जय गुरुदेव!
जय गुरु चरणं
जय गुरु शरणं
दण्डवत प्रणाम है
जय गुरु चरणं
जय गुरु शरणं
दण्डवत प्रणाम है
प्रार्थना हृदय को स्पर्श करती है