प्रभु की वंदना करें, प्रार्थना करें। उसकी स्तुति करते हुए उसकी महिमा को ध्यान में लेकर आइए। हे प्रभु! तू न्यायकारी, सर्व शक्तिमान, तू ही पतित पावन, तू ही करुणानिधान, तू सबका दाता, सबका भंडारी, तेरे भंडार भरपूर हैं। देने पर आए तो व्यक्ति की झोलियाँ भर दे, घर परिवार आंगन सब मालामाल कर दे और जब आप कर्मों के अनुसार दंड देते हैं तो व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं बचता मान सम्मान धन वैभव शक्ति संबंध सब समाप्त हो जाते हैं। आपका कठोर रूप यह रूद्र रूप रुलाए बिना नहीं छोड़ता पर माता पिता बंधु सखा भी आप ही हैं तरस खाने वाले दया करने वाले क्षमा करने वाले भी आप ही हो। हे प्रभु हम आपसे आपकी प्रसन्नता चाहते हैं अपने बच्चों पर आप प्रसन्न रहना और अपनी कृपा जैसे लुटा रहे हैं लुटाते रहना। हमें इस योग्य बनाइए कि हम इस कृपा को संभाल सकें, अपनी पात्रता को विकसित कर सकें और इस जीवन में आई हुई समस्त प्रकार की पीड़ाओं को दुखों को परेशानियों को दूर करके आपके परम आनंद को परमसुख को परम शांति को प्राप्त कर सकें और चारों तरफ वातावरण भी हम वैसा ही बनाए जो स्वर्गीय वातावरण हो आनंद का प्रसन्नता का प्रेम का खुशहाली का दया करुणा का सहयोग का ऐसा वातावरण हम चारो ओर बनाएं। यहां बनाया गया स्वर्ग ही व्यक्ति के साथ वहां तक जाता है उस लोक तक जाता है। हमारी पात्रता विकसित हो हमें आशीष दीजिए प्रभु आपके दर पर आए हुए आप से जुड़े हुए सभी भक्तों का कल्याण करना है यही विनती है इसे स्वीकार कीजिए।
ॐ शांति शांति शान्ती: ॐ