दोनों हाथ जोड़िये, प्रेम से आंखें बंद कर लें, शांत हो और एक गहरा श्वांस लेकर धीरे से छोड़िये। अपने स्व में स्थित हों, आज में, इसी क्षण में स्थित हों। पूर्ण विश्राम, पूर्ण शांति, आनंद का भाव मुखमण्डल पर लाइये।
धन्यवादी होकर प्यारे ईश्वर की कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त कीजिए। मेरे भाग्य ने मुझे कुछ दिया हो या फिर सताया हो तेरी कृपा के सहारे सदैव मैं सुरक्षित रहा हूं।
आंधी-तुफानों में भी मेरे जीवन की नौका आगे बढ़ती रही, किनारे लगता रहा हूं, सम्हलता रहा हूं, मुस्कुराता रहा हूं, आगे बढ़ता रहा हूं। मुझमें कुछ भी बल, शक्ति, विद्या, ज्ञान, सामर्थ्य नहीं है।
तेरा हूं, तेरे नाम का सहारा लिया है। तेरी दया और तेरी कृपा के सहारे ही इस संसार में सफल होना चाहता हूं। प्यारे ईश्वर अपनी कृपा का हाथ सदा हमारे शिर पर रखना। जो भी फर्ज, जो कर्तव्य, जो उत्तरदायित्व इस दुनिया के लिए है, उन्हें भी पूरा करें।
स्वयं के प्रति जो उत्तर दायित्व हो वो भी पूरा हो। आपकी ओर भी पूर्ण गति से चल सकें, आप तक पहुंच सकें। ये लक्ष्य भी पूरा हो। आशीष दीजिए प्रभु कृपा हो इस प्रार्थना को स्वीकार करना।
शांतिः शांतिः शांतिः