हे जगत के नियन्ता !जगत के आधार! हम भक्तों का श्रद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो । हे प्रभु कौन सा ह्रदय लेकर आऊँ, कौनसा मन, कौनसा धन, कौनसा तन लेकर आऊँ ? क्या तुझे दूँ जो तू रीझ सके ? क्या कर्म करूँ की तेरी कृपा मुझे मिल जाय? क्या प्रार्थना करूँ की तू सुन लें? कितने जन्म और लूँ की तेरा धाम मिल सकें ? हे मेरे पावन प्रभु ! बहुत युग बीते , कब लोगे खबर ? कब सुनोगे पुकार ? कब मिलेगा तुम्हारा प्यार? जीवन की साँझ बीत रही है अब और देर न लगाना प्रभु ! अपना करुणा हस्त बढ़ाकर मुझे संभालो, हे देव !
ॐ शांति! शांतिः !शांतिः!
जय गुरुदेव।।।