हे दीनदयाल प्रभु हमारी वंदना को स्वीकार करना | Prayers | Sudhanshu Ji Maharaj

हे दीनदयाल प्रभु हमारी वंदना को स्वीकार करना | Prayers | Sudhanshu Ji Maharaj

हे दीनदयाल प्रभु हमारी वंदना को स्वीकार करना

* प्रभु  हमारी वंदना को स्वीकार करना *

प्रार्थना

दोनों हाथ जोड़कर सभी मन ही मन अपने ईश्वर ,प्रभु को स्मरण कीजिए उनके स्वरूप का ध्यान कीजिए, अनुभव कीजिए कि आप एक महान शक्ति जो धरती आकाश ब्रह्मांड तक फैली हुई है उसे अपना हाथ पकड़ा रहे हैं ।

 इस भवसागर से पार होने के लिए और अपना आत्म कल्याण करने के लिए प्रार्थना यही कि मुझे अपने धर्म मार्ग पर सत्य मार्ग पर अपने प्रेम के मार्ग पर कुछ कदम आगे बढ़ने के लिए मेरी सहायता करो, शेष पग बाकी कदम मै स्वयं उठा लूंगा जब गिरूं तो संभालना भटकूं तू मुझे राह दिखाना,

जब उलझ जाऊं उलझन सुलझाने की सुबुद्धि देना जब कर्तव्य भूल जाऊं मुझे मेरा कर्तव्य मेरा फर्ज याद दिलाना। मुझे मेरे सतगुरु की प्रति श्रद्धा की संपदा देकर उसे बढ़ाते रहना।

मेरे जीवन के नियम अखंड हो, मेरा ध्यान‌ प्रभु आपके चरणों में अखंड हो मेरा कोई भी कर्तव्य शेष ना रहे संसार में। एक कर्म योगी का जीवन कर्मठता से व्यतीत कर सकें और कमल के पुष्प की तरह इस संसार सरोवर में ऊपर उठकर खिलें शोभायमान हों और यह पुष्प आपके चरणों तक पहुंच सके ये हमें आशीष दीजिए। हमारी वंदना को स्वीकार करना प्रभु।

ओम् शांतिः शांतिः शांतिः ॐ

2 Comments

  1. Pradeep kumar Dubey says:

    बहुत ही सुंदर prayer है, सभी का कल्याण हो,

  2. Bhakti marg is the quickest way to God-realisation. Om Guruve Namah

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