दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी लोग और प्रेम पूर्वक अपनी आंखें बंद क लें थोड़ी देर के लिए संसार से अपना ध्यान हटाइए चिंताओं की दुनिया से थोड़ी देर के लिए परमात्मा के परम् प्रेम से अपना संबंध जोड़िए!
प्रार्थना करें! सभी लोग मन ही मन भाव जो कहे जाएं उसके अनुरुप अपनी मनोवृत्ति को बना लें! दयानिधान, कृपानिधान, सर्वशक्तिमान मेरे प्यारे दाता… हे पतितपावन, हे सर्वरक्षक हम सभी श्रद्धा भक्ति से प्रभु आपको प्रणाम करते हैं!
हम नहीं जानते आने वाले समय में जीवन में कितना सुख है, कितना दुख है, कितनी हानि, कितना लाभ, कितनी उन्नति होनी है कितनी अवनति होनी है!
प्रभु! हम तो एक ही बात जानते हैं! आपके नाम का सहारा लिया है! और अपना हाथ आपके हाथों में दिया है! जिसके सिर पर आपकी कृपा छाया है वो किसी भी स्थिति में रहे वो कभी भी दुखी नहीं रह सकता है! जो आपका हो गया वो सदैव सुरक्षित है! जो आपकी शरण में है!
पूरी दुनिया उसकी आंख में आंसू डालने की कोशिश करें! पर जिसको मुस्कुराहट आप दोगे वो कभी रोएगा नहीं, जिसको संभालोगे आप वो कभी गिरेगा नहीं! जिस पर कृपा आपकी है उसकी तो उन्नति ही उन्नति है!
जो आपके सहारे चल रहा है उसकी नौंका तो पार होती ही है इसलिए प्रभु हम आशीष चाहते हैं कि! हमारी जिव्हा आपका नाम जपने लग जाएं
हमारे कदम आपकी राह में चलने लग जाएं! हमारे हाथों से जो भी कर्म हो वो आपकी पूजा बन जाएं! जो हम मनन करें उसमें आपका ही चिंतन हो, जिधर देखें आपकी ही महिमा का गुणगान करते हुए सब और पात करते हुए आपका स्वरुप देखें!
हे प्रभु अपना नाम जपने का अधिकार दीजिए सेवा करने की शक्ति दीजिए जब तक इस संसार में हैं आनंद पूर्वक जिएं कर्म योगी बनकर जिएं! सहारा देने वाले बनें सहारा लेने वाले न बनें हाथ देने के लिए उठते रहें किसी के सामने ये हाथ फैले नहीं कभी परमात्मा कृपा करना अपने बच्चों पर दया करना!आपके चरण-शरण में जो भी उपस्थित हैं आपके दरबार में जो भी आया है सबको मालामाल करना, निहाल करना सभी का कल्याण हो आशीष दीजिए!