अपने प्यारे प्रभु (कृपा) का जो नाम आप जपते हैं, उसको जिव्हा पर लाकर मन ही मन उच्चारण कीजिए!
और भगवान के जिस साकार स्वरुप को आप पूजते हैं, उस स्वरुप को मूर्तिमान रुप को अपने मन की आंखों के सामने लाइए!
मन-मन में भगवान का नाम जपें! शांत होते हुए अपने भीतर प्रभु की कृपाओं को अनुभव करें! और उसकी महिमा को कहिए! कि भगवान आपके लिए क्या… दयालु, कृपालु, सर्वशक्तिमान, परम पावन, संकटमोचक, सबका दाता, सबका रक्षक, जिससे हमारे सारे रिश्ते हैं,
वह माता-पिता, बंधु-सखा हमारा सब कुछ वही है! उस प्यारे प्रभु को मन ही मन प्रणाम कीजिए और प्रणाम करते हुए आशीर्वाद मांगिए! सांसारिक यात्रा में मेरे प्रभु मुझे जिस बुद्धि कौशल की आवश्यकता है वो आपसे मांगता हूं।
जिस प्रेम भरे हृदय की मुझे आवश्यकता है उसकी कृपा चाहता हूं। जिस साहस, शक्ति और निर्भिकता के साथ जीवन की कठिनाईयों का सामना कर सकूं, वह बल आत्मिक बल मुझे प्रदान कीजिए!
मेरे ऊपर गुरु की कृपा छाया हमेशा रहे जो मुझे निर्देशित और प्रेरित करते रहें। मेरे भीतर की वह अग्नि सदैव प्रज्जवलित रहे जिसके द्वारा मैं निरंतर अपने उत्साह में, अपने जोश में कार्य करता रहूं। मेरे बड़ों की कृपा छाया हमेशा मेरे साथ हो।
हे प्रभु मैं सांसारिक रुप से भी सफल होऊं, पारमार्थिक रुप से भी सफल हो जाऊं, मुझ पर कृपा कीजिए और आशीर्वाद दीजिए! यही विनती है प्रभु इसे आप स्वीकार कीजिए!
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Jai Guru dev ji