परमेश्वर को धन्यवाद दीजिए! सिर झुकाकर प्रणाम कीजिए! प्रेम से आंखें बंद कर लें। हृदय में भगवान का ध्यान करें। मन मन में प्रभु का जाप कीजिए! उसकी स्तुति, प्रार्थना करें!
माता तू ही, पिता तू ही, बंधु तू ही, सखा तू ही, तू ही दयालु, तू ही कृपालु, तू ही दाता, तू ही भंडारी, तू सबका रक्षक, तू पतित पावन, तू असीम, तू अनंत, तू सर्वेश्वर, तू सर्वव्यापक, तू ही सच्चिदानंद स्वरूप! अनेक नाम तू एक ही एक है प्रभु!
हम तेरा ध्यान करते हैं।
हे दाता वह सुबुद्धि दो कि हमें नीर क्षीर का विवेक जागृत हो सके। सत्य असत्य को पहचान सकें। संसार के माया के आवरण को हटाकर हम यथार्थता को सच्चाई को अच्छाई को पहचान सकें। अपने कर्तव्य को जान सकें। व्यर्थ में अपना समय ना गवाएं। जीवन हर पल मुस्कान से भरा रहे।
मन में शांति संतुलन रहे और कर्मठ कर्मयोगी का जीवन जीते हुए इस संसार में पुष्पों की तरह सुगंध बिखेरते हुए मुस्कुराते हुए अपनी कोमलता के साथ अपने जीवन के गुण और सुगंधी सौंदर्य के साथ इस संसार में खिले रहें और पुष्प की भांति आपको अर्पित हो जाएं।
प्रभु कल्याण कीजिए! और आपके दर पर आए हुए जो भी भक्त इस समय आपके चरण शरण में उपस्थित हैं आप से ध्यान लगाए हुए हैं कुछ ना कुछ आस हर किसी की है कुछ न कुछ विश्वास सबका है उन पर कृपा करना! मुराद पूरी करना प्रभु! उनके दामन में खुशियां देना यही प्रार्थना है हमारी! इसे स्वीकार करना!
ॐ शन्तिः शांति शांतिः ॐ