कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर से पूरे देश में त्रहि-त्रहि मची है। इस वायरस के डर से हर घर, हर व्यक्ति डरा-सहमा है। कब-कौन-कहां इसकी चपेट में आ जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता? ऐसे में हमारे प्राचीन ऋषियों द्वारा अनुसंधित मंत्र याद आता और याद आता है उस पर हाल ही में सम्पन्न अनुसंधान, वह है महामृत्युंजय मंत्र। निश्चित इस दिव्य शक्ति से हम सभी मिलकर प्रार्थना-पुकार करें, तो स्वयं की रक्षा के साथ देश और विश्व से यह संकट भी टल जायेगा।
विगत 7 अक्तूबर, 2019 को जी न्यूज के डी-एन-ए- कार्यक्रम में महामृत्युंजय महामन्त्र की महत्ता प्रस्तुत की गयी थी जिसमें वर्णन था कि ‘‘नई दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉक्टरों ने 3 अक्तूबर, २०११ से एक शोध प्रारम्भ किया, जिसमें उन्होंने मानव मस्तिष्क पर महामृत्युंजय महामन्त्र के प्रभाव को जांचने का प्रयास किया। उन्होंने इस विभाग के 40 मरीजों, जो किसी दुर्घटना अथवा किसी अन्य कारण से कोमा अर्थात् बेहोशी में चले गये थे, को २० – २० मरीजों दो भागों में बांट दिया।
वृंदावन के एक विद्यापीठ के ब्राह्मणों से एक समूह के बीस मरीजों के लिये महामृत्यंजय मंत्र का जाप करने के लिया कहा। दो-तीन दिन के अन्तराल के बाद ही देखा गया कि जिन मरीजों के लिये जाप किया जा रहा है, उन २० मरीजों में से 18 मरीजों की स्थिति में तेज गति से सुधार होने लगा।’’ डाक्टरों के इस शोध से शास्त्रों में वर्णित महामृत्यंजय मन्त्र की वैज्ञानिकता और उनके लाभदायक प्रभाव प्रमाणित होता है कि इस मन्त्र का जाप हर कठिन अवसरों पर आरोग्यता आदि के लिए सुनिश्चित प्रभावशाली है। यद्यपि यह मंत्र जाप कई किलोमीटर दूरी से किया जा रहा था। ऐसे में स्वतः स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति स्वयं इस महामृत्यंजय मन्त्र का जाप करता है, उसके मस्तिष्क पर निश्चित ही यह अधिक प्रभावकारी साबित होता होगा।
प्रस्तुत मन्त्र में भगवान शिव से की गयी प्रार्थना वास्तव में अनोखी है और जीवन को पुष्टिवर्धक करने में समर्थ है-
ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् !
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
अर्थात् भगवान शिव से प्रार्थना की गई है कि फ्हे तीन नेत्रें वाले महादेव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता कृपा करके हमें इस दुनिया के मोह एवं माया के बन्धनों एवम् जन्म-मरण के चक्र से वैसे ही मुक्ति दीजिये, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी यत्न के स्वयं डाल से अलग हो जाता है।
महामृत्यंजय मंत्र का वर्णन ऋग्वेद से यजुर्वेद तक में मिलता है। वहीं शिवपुराण सहित अन्य ग्रन्थों में भी इसके प्रभाव का विशेष महत्व बताया गया है। इसके जप से संसार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह मन्त्र जीवन देने वाला है, इससे मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। जीवनी शक्ति के साथ ही इससे जीवन में सकारात्मकता आती है। इसके जाप से हर प्रकार का भय और अवसाद समाप्त होता है। इस मंत्र के जाप से आदि शंकराचार्य को भी जीवन ऊर्जा की प्राप्ति हुई थी। यह मंत्र हजारों लाखों वर्षों से हम सबकी श्रद्धा व आस्था का केन्द्र है। इस मंत्र से जुड़ी अद्भुत परिणामदायी साधनायें आज भी हम सब अपने घर में करते और लाभ पाते आ रहे हैं। इस मन्त्र को जपने से दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है, अमरता मिलती है, कष्ट क्लेश मिटते हैं। व्यक्ति अपने जीवन में वह सब प्राप्त करता है, जो उसकी चाहत में होती है।
‘त्र्यम्बकं’ त्र्यम्बक कहते हैं त्रिनेत्रधारी भगवान् शिव को। अम्ब व अम्बकं जो माँ की ममता से युक्त है। त्र्यम्बकं का अर्थ प्रेम की तीन मातायें अर्थात् वह प्रभु परमपिता परमात्मा जो हमारा पालन, पोषण, रक्षण तीनों करता है। जो समान भावों के साथ शान्तिदायक बनकर हमें तृप्ति व शांति देता है। इस प्रकार हम प्रार्थना करते हैं उस प्रभु की जो त्र्यम्बकं हैं, त्रिनेत्रधारी हैं। यजामहे अर्थात् मैं आपका यजनपूर्ण ध्यान करता हूँ। ‘सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्’ आपके जिस ध्यान करने से सुगन्ध अर्थात् कीर्ति बढ़ती है, ‘पुष्टि’ व्यक्ति फलता-फूलता, पोषित होता है, ‘वर्धनम्’ अर्थात् ऐसा पोषण जिससे संवर्धन हो, आत्म उन्नति हो। उर्वारूकं का अर्थ खरबूजा से है। ‘उर्वारूकं इव’ खरबूजे की तरह से ‘उर्वारूकमिवबन्धनात्’ अर्थात ऐसे तत्व से पोषण, धारण, संवर्धन करें, जिससे हमारा व्यक्तित्वपूर्ण हो उठे और खरबूजे के फल की तरह पक कर स्वतः बन्धनों से मुक्त हो सके। ‘मामृतात्’ अर्थात् मुक्ति की ऐसी शक्ति जो अमृत से युक्त हो। ‘मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्’ अर्थात् कष्ट रहित मृत्यु की प्रार्थना कुछ इस प्रकार है कि हे महाकाल हमें तुम मृत्यु से छुड़ाना, हमें इस दुनिया से कच्ची अवस्था में जाना ना पड़े, पककर दुनिया से जायें। मृत्यु ऐसी जो तृप्तिदायक हो।
शिवपुराण में यहां तक वर्णन है कि किसी रोग-महामारी का आक्रोश हो, अकाल मृत्यु का भय हो, असाध्य रोगों से परेशानी हो, किसी प्रकार की ग्रह बाधा सता रही हो ऐसे अनेक कठिनाइयों में व्यक्ति को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। वास्तव में इस मंत्र का जाप करने से बड़े से बड़ा संकट भी टलते देखा गया है। यहां तक कि इस महामंत्र के प्रभाव से इंसान को मौत के मुंह से भी बच निकलते देखा गया है। मरणासन्न रोगी तक कालों के काल महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा लेते हैं। अतः इस संकटकाल में महाकाल मृत्युंजय भगवान की शरण वर्तमान महामारी से भी अवश्य उबारेगी।
2 Comments
Very nice
Jai Guruver ️ naman avam vandan aapke Param Vandaniye shubh charanarvind ko …. dhanyabhaag hmare Aap Guruver hein hmare ️ OM NAMAH SHIVAYE ️