आईए श्रद्धा भाव से सभी आंखें बंद करके भगवान के चरणों में विनती करें प्रार्थना करें! हे सच्चिदानंद स्वरुप सर्वशक्तिमान देव जगदाधार जगदीश्वर हम सभी आपके बालक-बालिकाएं श्रद्धा पूर्वक आपको प्रणाम करते हैं! आपकी समस्त कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
सुंदर सी व्यवस्था और उत्तम प्रबंधन और दिव्य योजना के साथ आपने पूरे संसार को संचालित किया हुआ है। हर चीज़ आपके नियम से और आपकी व्यवस्था से बंधी हुई है, पूरे संसार में एक सुंदर संतुलन और एक सामंजस्य दिखाई देता है, इसलिए पूरे संसार में सौंदर्य भी है रस भी है, हर चीज़ उचित प्रबंधन के साथ व्यवस्थित दिखाई देती है यह आपके दिव्य प्रज्ञा का ही चमत्कार है जिसके कारण असंख्य जीव-जन्तु मनुष्य इस धरती पर रहते हैं और सबकी व्यवस्था होती है।
परमेश्वर! हम भी अपने जीवन को सुंदर ढंग से व्यवस्थित कर सकें! सुविचारित योजनाओं के साथ चल सकें, अच्छा अनुशासन हमारे जीवन में हो, हम हर दिन सुव्यवस्था बनाने के साथ-साथ एक अच्छा संतुलन भी जीवन में लाएं, सरस होकर रहें, मधुरता और सौंदर्य को चारो तरफ बनाए रखें, लेन-देन में, उठने-बैठने में, व्यवहार में, आचार में सब में वो सौंदर्य दिखाई दे उसका आनंद भी स्वयं ले सकें। स्वयं में जब आनंद होता है प्रेम होता है तो वही बाहर भी झलकता है भीतर की कमी बाहर आती है, भीतर की सम्पन्नता भी बाहर दिखाई देती है। अपनी कृपा छाया से हमें भरिए, अपनी करुणा बरसाइए भगवान, आपका आशीष हमारे सिर पर रहे।
आपके चरणों से जुड़कर जिन-जिन लोगों ने जो-जो भी सेवा की है! और जो भी आस लगाकर आपके साथ इस समय प्रार्थना में है निवेदन कर रहा है! भगवान सबकी मनोकामना पूरी करना। बिछड़ गए हैं जो लोग वो फिर आगे आएं, जिनके घर की सुख-शांति चली गई है उनको फिर से सुख शांति देना, जिनकी मुस्कुराहट गायब हो गई है जीवन से उनको फिर से प्रसन्नता और खुशी प्रदान करना।
जिस घर में संतान की कमी है! भगवान वहां संतान देना! और जो लोग गरीबी का अभिशाप भोग रहे हैं! परमात्मा उनकी भी कमाई में बरकत देना आप विद्यार्थी पढ़ रहे हैं उनको भी सफल बनाना और इस धरती का दुख दूर कीजिए। पूरी मानवता इस समय संकट में है! चारों तरफ बीमारी फैली हुई है परमात्मा सबका कल्याण करना हम आपके चरण-शरण में हैं! और श्रद्धा भाव से आपको प्रणाम करते हैं, बारंबार आपकी कृपाओं के लिए आपको धन्यवाद देते हैं कृतज्ञता आभार व्यक्त करते हैं।