हे सच्चिदानंदस्वरूप! हे करुणानिधान! अनेक रंगों से सजे इस संसार में हम शुभ विचारों को ग्रहण करने वाले बनें,हमारा आचरण उत्तम हो!
हे जगदीश्वर-जगत के आधार! हे दयानिथान! आपकी अनुपम कृपा और दया के आधार पर ही हमें कल्याण मार्ग पर चलने वाला यह अनमोल शरीर प्राप्त हुआ है!
हे प्यारे प्रभु! इस शरीर से सदा सत्कर्म ही करें,वाणी से सदा आपका गुणगान ही करें और मन में सदा आपका शुभचिंतन ही चलता रहे,सदैव अपने सतगुरु के बतायें मार्ग पर चलने वाले बने! ऐसा हमें आशीष प्रदान करना! अपने मन-कर्म-वचन से हम किसी को भी कष्ट पहुँचाने वाले न बनें! सदैव सभी का हित चाहने वाले बने,सबसे सच्चा प्रेम करने वाले बनें! बनावटी पन से सदा हमें दूर ही रखना!
हे भगवन! हमारा मन सदा ही धर्म का दास बना रहे,हमारे मन में कभी पाप के भावों का उदय न हो,हमारे सामने जो भी कठिनाईयाँ आए उनका धैर्य से सामना करते हुए सफल हो सकें,यह ह्रदय से निकली हुई प्रार्थना आप स्वीकार करे! हे सर्व व्यापक-सर्व शक्तिमान! सर्वज्ञ प्रभो! हे दीनवत्सल-करुणानिधान! दयालु प्रभु! हमारा मंगल और व्यापक कल्याण आपके सर्वव्यापी हाथों में ही संभव है!
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॐ!
सादर हरि ॐ जी!
2 Comments
ऊँ गुरुवे नमः
जय श्री गुरुदेवाय नमः।