वीर सेनानियों के अमर बलिदान को याद रखे देश (स्वतंत्रता दिवस- 15 अगस्त पर विशेष)
प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि हमारे मन्दिरों में सोने का भण्डार भरा रहता था। भारत में खनिज पदार्र्थाे अर्थात् लोहा, तांबा, कोयला आदि का भारी मात्रा में भण्डार आज भी मौजूद हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण भी इसके पास खाद्य-पदार्थों की कभी कमी नहीं रही। भारत एक शान्तिप्रिय एवं आध्यात्मिक देश रहा है, हमारे ऋषि-मुनियों ने तपस्या करके इस देश की संस्कृति को सुरक्षित बनाये रखा। भारत में आयुर्वेदिक इलाज के लिए काफी मात्रा में औषधीय पौधों की भी खेती की जाती है, जो बेहद कीमती होती है।
भारत देश पर प्राचीन काल से विदेशी आक्रमण काफी मात्रा में होते रहे और उन्होंने इस देश को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फलस्वरूप यह देश खोखला होता चला गया। इसके उपरान्त करीब 270 साल पहले अंग्रेज आए और उन्होंने इस देश पर करीब 200 वर्ष तक शासन किया। अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को काफी हद तक नष्ट किया। उन्होंने इस देश की सम्पत्ति का पूर्णरूप से दोहन किया और यहाँ की सम्पत्ति इकट्ठी करके अपने देश इंग्लैण्ड पहुँचाया, जिससे हमारे देश में सोने-चाँदी के साथ-साथ अन्य वस्तुओं की कमी महसूस होने लगी।
अंग्रेजी हुकूमत ने हमारे देश-वासियों पर अनेक तरह के जुर्म ढ़ाए, चरम सीमा तक अत्याचार किए और इस देश को गुलामी की जंजीरों से जकड़ कर रखा। उन्होंने जलियांबाला बाग में निहत्थे देशवासियों के साथ जघन्य अपराध किया और उन लोगों पर गोलियाँ बरसाई, जिससे अनेक लोग मौत का शिकार हो गए। अंग्रेजों के जुर्म से भारतवासी काफी तंग आ गए थे, देशवासियों के मन में देश को आजाद करने की चिन्गारी अन्दर-अन्दर सुलग रही थी।
यह चिन्गारी साल 1857 से धीर-धीरे सुलग रही थी। 9 अगस्त 1925 को अमर शरीद पण्डित चन्द्र शेखर आजाद, पण्डित राम प्रसाद विस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अश्फाक उल्ला खाँ और अन्य क्रान्तिकारी वीरों ने काकोरी में सरकारी खजाने से भरी हुई ट्रेन को लूटा, जिससे अंग्रेजी शासक अचम्भित हो गए और उन्होंने क्रान्तिकारी वीरों को जेलों में बन्द कर दिया। इस काकोरो काण्ड के बाद स्वाधीनता की यह चिंगारी ज्वलनशील आग बन गई, जिससे देश में क्रान्तिकारियों के हौसले और अधिक बुलन्द हो गए थे।
उधर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक नारा दिया ‘‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा’’ और अपनी एक सेना खड़ी की जो अंग्रेजों से टक्कर लेती रहती थी। इधर महात्मा गाँधी ने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू किया जिसमें ‘‘करो या मरो’’ का नारा दिया गया। इस नारे के बाद गाँधी और उनके साथियों को जेल में बन्द कर दिया गया। इसके बाद आन्दोलन ने विशाल रूप ले लिया और वर्ष 1943 के अन्त तक इस आन्दोलन ने भारत को पूरी तरह संगठित कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने संकेत दे दिया था कि सत्ता का हस्तांतरण कर उसे भारतीयों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। तब गाँधी जी ने आन्दोलन को बन्द कर दिया। इसके बाद देश की आजादी की प्रक्रिया शुरू हुई।
15 अगस्त 1947 को लालकिले पर झंडा फहराते हुए हमारे देश के प्रथम प्रधानमन्त्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था ‘‘रात 12.00 बजे जब आधी दुनिया सो रही है, भारत जीवन और स्वतंत्रता पाने के लिए जाग रहा है। यह एक ऐसा क्षण है जो दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। भारत पुनः अपनी पहचान बनाएगा।’’ हजारों की संख्या में देश-वासियों ने इस आजादी की जश्न का उत्साहपूर्वक स्वागत किया और सभी लोग मन से प्रसन्न हो गए और भारत अंग्रेजों की गुलामी से पूर्णतः आजाद हो गया।
आजादी मिलने के बाद भारत की प्रगति को देखकर हम यह कह सकते है कि नेहरू जी का वह कथन आज भी सार्थक सिद्ध हो रहा है। भारत दुनिया के अनेक देशों से राजनीतिक ही नहीं, आर्थिक रूप से भी समृद्ध हो रहा है। भारत के पास युवा-शक्ति का भरपूर खजाना है, हमारे युवाओं में प्रतिभा एवं क्षमता के साथ-साथ अपनी संस्कृति भी कूट-कूट कर भरी हुई हैं, जो दुनिया में फैलकर भारत का नाम रोशन कर रही है। गाँवों का विकास तेजी से किया जा रहा है, महिलाएँ एवं पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ हर क्षेत्र में तरक्की कर रहे हैं। इसी बीच हमने अपनी कई कमजोरियों व कुरीतियों पर भी सख्त प्रहार किए तथा जाति प्रथा, ऊँच नीच, छुआछूत आदि को त्यागने के भरसक प्रयत्न किए। इस दिशा में और अधिक निर्णायक ढंग से काम करने की आवश्यकता है।
भारत सरकार हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाती है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित है। भारत के प्रधानमन्त्री देश की राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर झण्डा फहराते हैं। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज को 21 बन्दूकों की सलामी के साथ-साथ उस पर हेलिकाॅफ्टर से पुष्पवर्षा करके राष्ट्र को सम्मान दिया जाता है। प्रधानमन्त्री वहाँ पर उपस्थित जनसमूह के साथ राष्ट्रगान करते हैं। हमारे देश के तिरंगे झंडे में केसरिया रंग हिम्मत और बलिदान को, सफेद रंग शान्ति और सच्चाई को तो वहीं हरा रंग विश्वास और शौर्य को प्रदर्शित करता है। हमारे तिरंगे झण्डे के मध्य में एक अशोक चक्र होता है जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं। शासनाध्यक्ष इस शुभ अवसर पर अपने प्यारे देशवासियांे को सम्बोधित करते हैं। समारोह स्थल पर अनेकों स्कूलों के बच्चों द्वारा विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस समारोह को देखने के लिए लाखों लोग लाल किले पर एकत्रित होते हैं।
इसके अलावा सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों, सरकारी संस्थानों, स्कूलों एवं काॅलेजों में झण्डा फहराने के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन भारत के सभी लोग भारत के राष्ट्र धवज तिरंगे का सम्मान करते हैं। सभी कार्यक्रमों में माँ भारती के उन वीर शहीदों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति दे दी। आज हम उनके बदौलत ही खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं।
भारत विभिन्नताओं से भरा हुआ देश है, यहाँ पर विभिन्न धर्माें, परम्पराओं और संस्कृतियों के मानने वाले लोग रहते हैं तथा वे सभी स्वतंत्रता दिवस के उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। भारतीय होने के नाते हमें 15 अगस्त को गर्व महसूस करना चाहिए और साथ ही वादा भी करना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार के विदेशी आक्रमण से अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे। इसके अलावा हमें देशभक्ति, सदाचार, ईमानदारी, कत्र्तव्यनिष्ठा, परोपकारी भावना के साथ देश के लोगों की सेवा करनी चाहिए।
किसी भी आजाद देश का शासन चलाने के लिए एक संविधान की आवश्यकता होती है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के साथ ही हमारा देश विश्व का एक ‘गणतन्त्र’ बना। भारतीय प्रजातन्त्र में लिंग, जाति, धर्म इत्यादि किसी भी आधार पर नागरिकों में भेद नहीं किया जाता। धर्म निरपेक्षता भारतीय गणतन्त्र की एक प्रमुख विशेषता है।
जय हिन्द।
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