नदी निरन्तर सागर को खोजती है, अग्नि की लपट सूर्य को खोजती है, छोटा बच्चा मां को खोजता है, खोज के लिए इस गहरी छटपटाहट को कहते हैं लगन। ऐसी ही लगन परमात्मा के लिए हमारे अन्दर होनी चाहिए। लगन गहरी है तो परमात्मा गहराई तक उतरता जाता है, फिर वह व्यक्ति दुनिया के जंजालों में नहीं फंसता। वह मस्त-मौला व्यक्ति सदा सुखी रहता है। इसके लिए अन्दर गहरी लगन होनी चाहिए, जिससे संसार के जंजालों से बचकर परमात्मा के हो जाएं।
लगन के बावजूद भगवान अपनी कृपाधार से जोड़ने के साथ भक्तों की परीक्षा भी लेता है। वह रुद्र है, भोला है और क्षमाशील भी है। वह कभी-कभी कठोरता जरूर बरतता है, पर सुधार लाने के लिए।
हमारे कर्मों के आधार पर परमात्मा हमें कभी रुलाते हैं, तो आंसू पोछने के लिए हाथ भी बढ़ाते हैं। ऐसे में भगवान से डरने-घबराने की जरूरत नहीं है, भागें भी नहीं। उनसे बस प्रार्थना करें। यदि भगवान से भक्ति मांगने वाले बन पाये, तो धन, सम्पदा और शक्ति सहज मिल जायेगी।
यह कटु सत्य है कि यदि भक्ति का वरदान मिला है, तो समझिए भगवान ने आपको चुना है। ऐसे में पीछे मुड़कर न देखें। पूर्ण श्रद्धा से, गहरी लगन से उसी ओर बढ़ें, धीरे-धीरे सब द्वार खुलेंगे। उसका रास्ता आखिर प्रेम का ही रास्ता तो है, प्रेम के माध्यम से आप उस तक अवश्य पहुंचेगे। हाँ हृदय में इतना प्रेम अवश्य हो कि उसे दुनिया में बांटते हुए, उसी राह पर चलते जायें।
ऐसे में जिंदगी में धूप-छांव रहेगी, हंसना और रोना भी साथ-साथ चलेगा। हर्ष-विषाद की लहरें चित्त के अन्दर हर पल उठती रहेंगी। पर घबराहट बिल्कुल नहीं आयेगी। क्योंकि तब उस पर भरोसा बढ़ता चलेगा। अतः उस एकमात्र ईश्वर पर भरोसा करें, उसी के चरणों में प्रार्थना करें। देखिये तब दुःख संकट टिकेगा नहीं। जो हर पल हाथ से छूटता जा रहा है, वह पुनः हाथ लगेगा।
यदि एक बार वह आपका हो गया, तो जगत की परवाह भूल जाओगे। तब संसार के पदार्थों से मिलने वाली खुशी आपको अस्थायी लगेगी और अंदर वाला बोल उठेगा कि सदा रहने वाली खुशी प्रभु चरणों में और महानपुरुषों, गुरुओं की शरण ग्रहण करने में ही है।
तब हर क्षण एक ही आवाज उठेगी कि तेरी शरण को छोड़कर जग की शरण का क्या करूं। दुनिया के झूठे रिश्तों के लिए आंसू क्यों बहाऊँ, ऐसे में कभी जो दुनिया वाले तुम्हारे आंसुओं की कद्र नहीं कर रहे थे। परमात्मा के प्यार में आंसू बहा, तो वही दुनिया पीछे हो लेगी। इसीलिए कहते हैं भगवान में लगन बढ़ाओ। क्योंकि ऐसा व्यक्ति ही श्रद्धा-भक्ति के दीप लोगों की भावनाओं में जलाकर धन्य होता है।
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परम पूज्य पतित पावन श्री सदगुरु देव महाराज जी के श्री चरणों में कौटी कौटी परणाम नमंन भागयशाली महशुश कर रहे हैं शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया जय हो सदगुरु देव महाराज जी औम गुरुवै नम सबका भला करो भगवान सबका भला हो