प्यारे परमेश्वर से प्रार्थना करें!
विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव। परमेश्वर प्रेरक पिता ज्ञानदाता भगवान!
हम अपने समस्त दोषों को कमियों को कमजोरियों को दूर कर सकें ये शक्ति हमें मिले! और अंत:प्रेरणा भी मिले!
वातावरण भी मिले! और हमें वो शक्ति भी मिले कि हम अपनी दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त कर सकें! और ये प्रार्थना भी हमारी कि जो भी इस दुनिया में शुभ है जो भी उचित है जो भी कल्याण करने वाला जिसके द्वारा हमारा उत्थान हो जिसके द्वारा हमारा विकास हो ऐसी जो भी इस दुनिया में अच्छी चीज़ है जो भी शुभ है जो भद्र है बस वो हमें आप प्रदान किजिए।
“यद् भद्रं तन्न आ सुव। यद् भद्रं तन्न आ सुव। यद् भद्रं तन्न आ सुव! “
जो भी भद्र है जो भी शुभ है उसके ही हम ग्राहक बनें वही जीवन में आए। सबसे पहले हमारी कोशिश अपनी दुर्बलता पर विजय पाने की हो!
अपने आपको भीतर से सशक्त करने के लिए और इस नदी को, संसार की नदी को पार करने के लिए हमें यह देखना होगा कि हमारी इस नौका में कहीं कोई छेद तो नहीं है! और पार करने से पहले उस नौका के छिद्र ठीक करना आवश्यक है तभी हम पार लग सकते हैं।और फिर हम इतने सशक्त और साधन से सम्पन्न हों कि थोड़ी शक्ति और काम अधिक।
अपनी ऊर्जा को सम्भालना आए अपनी ऊर्जा को व्यर्थ में न गंवाएं। परमेश्वर हमें आशीर्वाद दीजिए!
सभी का जीवन उत्तरोत्तर उन्नति करे, सुख और समृद्धी से भरपूर हो!
आपके दर से जुड़े हुए जितने भी लोग बेठे हैं उन पर अपनी महर का हाथ रखिए भगवान।
सबका कल्याण हो।