श्रीमद् भगवद्गीता जीवन का वह सार है जिसे पढ़कर व अपने जीवन में उतारकर मनुष्य को इस कलयुग में सत्य की राह मिलती है। वह सारी सांसारिक मोह माया के बंधनों से मुक्त होता हुआ परम ज्ञान की ओर बढ़ने लगता है। इसके महत्व को बनाए रखने के लिए ही सनातन धर्म में पवित्र गीता जयंती का समारोह बड़ी ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
क्या है गीता जयंती
सनातन धर्म में सबसे बड़े व पवित्र ग्रंथ अर्थात श्रीमद् भगवद्गीता के जन्म दिवस को ही गीता जयंती कहा गया है। इस दिन श्रीमद् भगवद्गीता जी के दर्शनों का बड़ा लाभ माना गया है। यदि इस दिन श्रीमद् भगवद्गीता के श्लोकों का वाचन किया जाए तो मनुष्य के इस जन्म के साथ साथ पूर्व जन्मों के दोषों का भी नाश होता है।
कहा जाता है कि इसी दिन योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण जी ने कुरुक्षेत्र के मैदान में उस समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था जब वह अपने कर्मपथ से भटक गए थे। इसलिए कहा जाता है कि श्रीमद् भगवद्गीता का जन्म वासुदेव भगवान श्री कृष्ण जी के श्री मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ है। सनातन पंचांग के अनुसार यह पर्व मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी पर मनाया जाता है।
श्रीमद् भगवद्गीता का महत्त्व
श्रीमद् भगवद्गीता के 18 अध्याय माने गए है। जिसमे मनुष्य द्वारा किए गए सभी धर्मो कर्मों का लेखा जोखा मिलता है। गीता के श्लोकों में सारी मानवजाति का आधार छिपा हुआ है। जिस तरह रणभूमि में जगतपिता भगवान श्री कृष्ण द्वारा कही गई श्रीमद् भगवद्गीता के चलते अपने पथ से भटके हुए अर्जुन पुनः अपने कर्मपथ पर वापिस आ गए थे ठीक उसी तरह यदि आज का मनुष्य भी नित्य नियम से श्रीमद् भगवद्गीता के सार को अपने जीवन में उतारना शुरू कर दे तो यकीनन वह भी कर्म पथ से नहीं भटकेगा,वह सदा ही अभिमान, अहंकार, लालच, काम, क्रोध, द्वेष से दूर रहेगा, तथा उसके पास बुद्धि, धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, साहित्य एवं संस्कारों का बसेरा रहता।
नैनं छिदंति शस्त्राणी, नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयंतेयापो न शोषयति मारुतः ।।
अर्थात: इस आत्मा को ना तो शस्त्र काट सकते है, ना आग जला सकती है, ना ताप गला सकता है और ना ही वायु सूखा सकती है। इसलिए इसकी मुक्ति के लिए हमें ईश्वर के श्रीचरणों का ही ध्यान करना पड़ेगा।
ऐसे अनेक श्लोकों को पढ़ने और उनका अर्थ समझने से मनुष्य को जीवन के कष्टों से ना सिर्फ मुक्ति मिलती है, बल्कि वह जीवन के उस पथ को प्राप्त करता है जिसका ज्ञान स्वयं सर्वज्ञानी भगवान श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को दिया था।
गीता जयंती के शुभ अवसर पर क्या करें
गीता जयंती के शुभ अवसर पर भगवद्गीता की पूजा तथा पाठ करना चाहिए। इसके पश्चात् भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर उनसे सदा सद्बुद्धि देने के लिए प्रार्थना करें। संभव हो तो गीता कुछ श्लोकों को भी पढ़कर उनका अर्थ समझने का प्रयास करें। इससे समस्त बिगड़े हुए काम बनते हैं एवं मनुष्य के जीवन में शांति का आगमन होता है। ज्ञानी जन बताते है कि इससे मनुष्य में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है तथा कठिन परिस्थितियों में भी मनुष्य कभी भी पथभ्रष्ट नहीं होता है।
यदि आप इस गीता जयंती समारोह के शुभ अवसर पर श्रीमद्भागवत गीता के अमृत ज्ञान सरोवर में डुबकी लगाना चाहते है तो 12 से 14 दिसंबर 2021, 4 बजे से परम पूज्य सुधांशु जी महाराज जी के YouTube चैनल पर व् डॉ. अर्चिका दीदी के Facebook पेज पर अनेकों विश्व विख्यात संतों के गीता से सम्बंदित ज्ञान की धारा को घर बैठे आनंद से श्रवण कर सकते है। गीता जयंती आपके और आपके अपनों के लिए और भी अधिक मंगलमय हो ।
अधिक जानकारी के लिए : गीता जयंती समारोह 2021
जय श्री कृष्ण!
हरी ॐ!!!
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Bhagwat Gita actually guides us to success, prosperity, peace of mind and contentment. Om Guruve Namah . Jai Shri Krishna