Gita Ka Amrit Gyaan- 94 | तत्त्वज्ञान के लिए गुरु की शरण में में जाएं | Sudhanshu Ji Maharaj

Gita Ka Amrit Gyaan- 94 | तत्त्वज्ञान के लिए गुरु की शरण में में जाएं | Sudhanshu Ji Maharaj

आज के गीता अमृत ज्ञान में सदगुरु ने💐 तत्वज्ञान के लिए गुरु के शरण में जाएं💐 यह रहस्य समझाया।

🌹भारत की सबसे प्राचीन पद्धति, अग्निपूजा है। जो आगे बढ़ने के लिए, प्रेरक तत्व का कार्य करती है।
🌷 आगे भगवान कहते हैं ।कि द्रव्य यज्ञ ,की अपेक्षा ज्ञान यज्ञ अच्छा है। साथ ही ,यह भी कहते हैं। कि जो 5 यज्ञों को मैंने कहा है वह निरर्थक नहीं है। बल्कि इन सभी यज्ञ के सोपान को पार करते है तभी आप अनुभूति जन्य ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।
💐 सद्गुरु ने एक तरह का उदाहरण देते हुए बताया। कि किताब के ज्ञान से, आप पानी में तैर नहीं सकते। इसलिए सूचना ,और अभ्यास दोनों का समन्वय होना चाहिए। और आगे चलकर यह आप के चित् पर अंकित होकर आपको उस कार्य को करने में सहजता प्रदान करता है

💐आगे के श्लोक में भगवान ने, तथा उपनिषद कारों ने भी कहा, कि खोज, जीवन और सत्य की अगर करनी है। तो तुम्हें गुरु की खोज करनी चाहिए। और अपने को समिधा बनाते हुए, गुरु तत्व को अग्नि समझना चाहिए।
💐गुरु समस्त शास्त्र की जानकारी रखने वाला , ब्रमहनिष्ठ,ध्यान की जानकारी के साथ , वह दूसरों को तत्वज्ञान की जानकारी भी देने वाला चाहिए। इसके साथ ही समाज कल्याण के कार्यों में भी विभिन्न प्रकल्पो के माध्यम से मानव की करुणा पुकार सुनने वाला हो।

💐शिष्य के लिए भी नियम बताए गए। जिसमें पहली शर्त ,प्रणिपात की है। मतलब साष्टांग या दंडवत प्रणाम
इसमें भी तीन तरह के प्रणाम का वर्णन सतगुरु ने किया।
💐1_जिसमें पूरा शरीर को दंड (लाठी) की तरफ जमीन पर स्पर्श कराते हुए दोनों हाथ को आगे रखें।
🌷2_जहां से सद्गुरु जा रहे हो वहां से 4 फीट की दूरी पर दोनों हाथों को हृदय से लगाकर सिर झुका कर प्रणाम करें.।

🌹3_घुटनों के सहारे बैठकर सिर झुकाते हुए, दोनों हाथ आगे ले जाकर जमीन को स्पर्श करें।

💐इन सभी के साथ शिष्य में बौद्धिक कुशलता और अगाध श्रद्धा की आवश्यकता होती है गुरु शिष्य प्रश्नों के अनेक उदाहरण दिए गए। महात्मा बुद्ध और पिप्लादी ऋषि का वर्णन किया गया। जिसमें गुरु ने शिष्य को 2 साल के बाद, प्रश्न पूछने का मौका दिया ।गुरु अनुभूति कराते हैं उसे।। जो शिष्य उसके लिए तैयार हो जाए।
💐 कई बार हम अपनी बौद्धिक खुजली को शांत करने के लिए गुरु से चलते फिरते प्रश्न करते हैं। और उससे हम अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन वह आपके जीवन में तभी उतरेगा जब आप में धैर्य, अगाध श्रद्धा और कारण को ध्यान में रखकर पूछा गया हो।
💐जब मन में वैचारिक क्रांति होती है तो दो चीजें आती है जानकारी के पहले का और उसके बाद का जीवन।
💐 यहां आपका जीवन बदल जाता है। इसी के लिए आपको गुरु के नजदीक जाना पड़ता है। लेकिन पूर्वाग्रह ,अभीग्रह, और आग्रह को छोड़कर जाना चाहिए ।
💐अरस्तु के पास सिकंदर 6 वर्ष रहा। और बाद में विश्व विजेता बना। अगर योग्य गुरु, और योग्य शिष्य एक दूसरे में उतरने के लिए तैयार हो। तो इतिहास करवट लेता है जैसे भारत भूमि पर भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन तथा श्री रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद।

💐ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे लिखे इन 4 लाइन में

💐सेवा तथा प्रणिपात और निष्कपट भावों से सदा।
💐तू तत्व वेत्ता ,ज्ञानियों से प्रश्न पूछेगा कदा।
💐रख ध्यान तू, हे सब्यसाची वे बताएंगे सभी।
💐कुछ भी छुपाएंगे ना तुझसे, भेद कर्म के कभी।

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