विश्व को आध्यात्मिक नेतृत्व देता विश्व जागृति मिशन एक संत पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज के संकल्पों द्वारा प्रारम्भ महान परिवर्तनकारी आंदोलन बनकर आज समाज में प्रतिष्ठित है। इस वट वृक्ष की छाया में लाखों-करोड़ों नर-नारी सामाजिक रूढ़ियों, जीर्ण-शीर्ण मान्यताओं, दुष्प्रवृत्तियों व हीनभावों एवं वृत्तियों से मुक्त हो रहे हैं। मिशन आज विराट आकार लेकर जन-जन में नये संकल्प, नई सोच और समाज, राष्ट्र, विश्व को नये प्रकाश का सौभाग्य दिला रहा है।
मिशन ने शांति, करुणा, प्रेम, सहकारिता, सत्य, न्याय, सेवा, शुचिता जैसे देवत्व भाव जगाने वाले मूल्य व्यक्ति के अंतःकरण में स्थापित करने हेतु सत्संग एवं सेवा के अनेक प्रकल्प प्रारम्भ किये, जिससे व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व में आध्यात्मिक चेतना की क्रांति पैदा हुई। गुरुवर के सत्संग-सेवा परक प्रकल्पों में अपना समय, धन, प्रतिभा, प्रभाव का आंशिक योगदान देकर आज करोड़ों नर-नारी सदविचार, सद्प्रवृत्ति को जीवन में जगा रहे हैं।
लाखों परिवार ऋषि मूल्यों से जुड़कर भारतीय संस्कारों की टकसाल बनकर उभर रहे हैं। देश-विश्व को नव नेतृत्व देने लायक, भारत की सनातन संस्कृति के रक्षण योग्य नई पीढ़ी के निर्माण हेतु मिशन ने अनेक गुरुकुल एवं बालाश्रमों की स्थापनायें की। संरक्षण, पोषण, संस्कारपूर्ण शिक्षण देकर इन बच्चों को आत्मनिर्भर जीवन बनाने का दायित्व मिशन निभा रहा है। वहीं करुणासिंधु धर्मार्थ अस्पताल, 6 से अधिक गौशालायें, देवालय, वृद्धाश्रम, बालाश्रम, नारी आत्मनिर्भर केंद्र, आपदा प्रबंधन एवं युवा प्रकल्प, पर्यावरण संरक्षण आदि के माध्यम से राष्ट्र को सशक्त-समर्थ बना रहा है। मिशन की इन्हीं प्रमुख स्थापनाओं में है गौसेवा, गौशाला स्थापन एवं गौ अनुसंधान।
जिस घर में देशी गाय का पालन-पोषण एवं गौसेवा होती है, उनके घर की संतानें आत्मविश्वासी, स्वस्थ, बुद्धिमान एवं संवेदनशील-समझदार होती हैं। भारतीय संस्कृति की यह मान्यता को अब विज्ञान भी पुष्ट कर रहा है। भारतीय नस्ल की गायों की मात्र सेवा करने से व्यक्ति के जीवन से दुर्भाग्य की लकीरें मिटती हैं। जिस घर के लोग गौसेवा, गौदान करते हैं, उनके पूर्वज उस वंशज पर स्वर्ग से अनुदान-वरदान-आशीर्वाद बरसातें हैं। गौसेवा एवं गौदान से गौमाता का संरक्षण-संवर्धन होता ही है, साथ में पर्यावरण परिष्कृत होने से समाज के आरोग्यमय जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है।
मिशन के करोड़ों भक्तों में गौसेवा, गौशाला की प्रेरणा भरकर उनके जीवन को सांस्कृतिक दृष्टि से समर्थ, आरोग्यमय, सौभाग्यमय बनाने के संकल्प को लेकर पूज्यवर ने नई दिल्ली स्थित आनन्दधाम आश्रम में कामधेनु गौसेवा गौशाला स्थापित की। इसी के साथ मुरादाबाद, कानपुर, उत्तर प्रदेश, हैदराबाद, तेलंगाना, लालसोट-राजस्थान, बैंगलुरू-कर्नाटक एवं पानीपत-हरियाणा मिशन आश्रमों में आदर्श गौशाला स्थापना के साथ उन्हें अनुसंधानपरक बनाने की रूपरेखा तैयार करके अब लोगों को स्वावलम्बी बनाने पर विचार हो रहा है।
आनन्दधाम की कामधेनु गौशाला में 150 से अधिक गायों की सेवा नियमित रूप से होती है। यहाँ के पवित्र गोदुग्ध को आश्रम के अन्तःवासियों, गुरुकुल के विद्यार्थियों, वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को पान करने का अवसर मिलता है। जिससे उनके अन्तःकरण को सात्विक बनाने में मदद मिलती है। वहीं गौ उत्पाद के अनुसंधान का कार्य भी प्रारम्भ किया गया है। इससे परिसर को जैविक बनाये रखने में मदद मिल रही है।
मिशन की सेवारत सभी गौशाला में हो रही 1000 से अधिक गोवंश (गौशाला) की समुचित सेवा और पर्यावरण पर उनके सूक्ष्म प्रभाव को लेकर गोविज्ञान एवं अनुसंधान कार्य की विस्तृत योजना भी बन रही है। पूज्यवर की इच्छा हे कि गाय केवल पूजन व दान-पुण्य तक सीमित न रहे, अपितु वह देश के आर्थिकी को मजबूत करने में भी सहायक बने। इसके लिए आवश्यक है इन गायों की सेवा-संरक्षण में सभी हर सम्भव सहयोग करें और पुण्य के भागीदार बनें।