* जीवन के पौधे को शांति के जल से सींचना सीखो
सुख से पहले आनी चाहिए शांति। शांति वहां आती है जहां संतुलन है, जहां सुव्यवस्था है, जहां सहजता है। *
* गमले में पौधा है लेकिन मिट्टी नहीं है तो पौधा सूख जाएगा।
माओत्से ने लिखा कि कैसे उसकी माँ ने 15 दिन के लिए बगीचे की जिम्मेवारी उसको दी।
माँ बोली एक भी पत्ता सूखना नहीं चाहिए। माओत्से पत्तों को पानी देता रहा और चमकाता रहा।
पौधों की जड़ में पानी नहीं डाला और 15 दिनों में सारा बगीचा सूख गया।
पौधों को हराभरा रखना है तो जड़ में पानी डालना होगा। सुखी होना है तो मूल तक जाना होगा।
आनंद चाहते हो तो जड़ को सींचना सीखो। जड़ है शांति। पानी है सुव्यवस्था और संतुलन। *
* अगर आपका सिस्टम बढ़िया है तो जीवन में शांति आएगी। अस्त-व्यस्त हैं तो अशांति आएगी।
जितना जितना प्रकृति के साथ मिलोगे, ईश्वर से मिलोगे, तो शांति आएगी। पानी देना शुरू करो।
आज से ही अस्त-व्यस्त रहना छोड़ो। जहां भगवान की कृपा है वहां सुख शांति आएगी।
समय रुपया कमाने में तो लगाते हो, थोड़ा समय शांति बनाने में भी लगाओ। *
* दिन में सांस लेने की प्रक्रिया पर भी ध्यान देना। श्वांस को 1 2 3 की गिनती बोलते हुए लेना और छोड़ना।
लंबा श्वांस लेते हैं वो जो योगी है। सफल है वह जो एड़ियों तक सांस लेता है।
साथ ही अपनी रीड़ पर काम करो। इसमें हैं सात चक्र, ऊर्जा के केंद्र।
सात चक्र, सात रंग, सात जिव्या अग्नि की, सप्तपति, सप्तसागर, सात सुर। *
** गुरु से कुछ लेना हो तो सबसे बड़ी चीज है गुरुमंत्र सिद्धि साधना सीखो **
4 Comments
Aapki rehmato ka shukrana gurudev ,aapki mahima aparampar hai,aapka sneh sadaiv milta rahe
Naman gurudev
Om Guruve Namah! Maharajshri, your seeds of Divine thoughts are simply too organic and we pray that they bloom into saplings filled with immense positivity in our hearts. Bless us all Maharajshri
Apko koti koti pranam gurudev
Guru ji ko shat shat naman vandan