‘अशिक्षा किसी भी देश के लिए कलंक’
(विश्व साक्षरता दिवस 8 सितम्बर पर विशेष)
प्राचीन काल में शिक्षा सभी को नहीं मिल पाती थी। तब शिक्षा एक सीमित वर्ग को ही मिल पाती थी। उन दिनों स्कूल व काॅलेज नहीं होते थे, बल्कि उनके स्थान पर ‘गुरुकुल’ होते थे। बच्चे अपने घर से दूर बियावान वनों में नदी के किनारे पर गुरुकुल में रहकर ही मूल शिक्षा के साथ-साथ ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता, आध्यात्मिकता, परोपकारिता, राजनीतिकता, धर्नाजन, कृषि, प्रकृति, अस्त्र-शस्त्र चलाने आदि के पाठ भी पढ़ते थे। कालान्तर में धीरे-धीरे शिक्षा का विस्तार होना शुरू हुआ और स्कूल/काॅलेज खोले जाने लगे। वर्तमान युग में शिक्षा सभी को समान रूप से मिल रही है। इसी का परिणाम है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति कर रहा है और हमारे वैज्ञानिक चाँद तक पहुँच गए हैं।
आज सम्पूर्ण विश्व में ‘साक्षरता दिवस’ मनाया जा रहा है। शिक्षा एक ऐसा मन्त्र है जो विश्व के प्रत्येक नर-नारी को एक सुसंस्कृत, विद्वान, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ बनाता है। शिक्षा मनुष्य के अन्दर राष्ट्रीय भावना को जागृत करती है। शिक्षा होने पर ही व्यक्ति को बुरे-भले का ज्ञान होता है। शिक्षा व्यक्ति के जीवन को प्रगति के पथ पर ले जाने का एक सशक्त माध्यम है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य यह जान पाता है कि उसे किस प्रकार अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को उन्नति के उच्चतम शिखर पर कैसे पहुँचाया जाए।
विश्व साक्षरता दिवस-8 सितम्बर को मनाने के लिए यूएनओ की शीर्ष संस्था ‘यूनेस्को’ ने 17 नवम्बर 1965 को एक प्रस्ताव पारित किया था और इसकी घोषणा की थी तथा पहली बार वर्ष 1966 में इसे मनाया गया। विश्व साक्षरता दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य था कि विश्व के समाज के विभिन्न समुदायों और व्यक्तियों को साक्षरता का महत्व समझाया जाए, ताकि वे शिक्षा के प्रति जागरूक हो सकें। इसका मुख्य प्रयोजन यह भी था कि विभिन्न समाज में जो कुरीतियाँ फैली हुई हैं, उनको किस प्रकार से दूर किया जाए, साथ ही नशे की आदत को भी कैसे छुड़ाया जाए? प्रौढ़ लोगों को किस प्रकार शिक्षा प्रदान की जाए? ताकि वे भी देश की मुख्य धारा में आकर अपना भरपूर सहयोग दे सके। शिक्षा से ही व्यक्तियों में आर्थिक विकास, पर्यावरण की सुरक्षा और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में प्रगति लाने के लिए उनको जागरूक करना है।
शिक्षा एक ऐसी कीमती चीज है जो अमूल्य है और जिसका कोई अन्त नहीं है। यह बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सीखी जाती रहती है। विश्व जैसे-जैसे तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे शिक्षा में बदलाव होता रहता है, इसके साथ-साथ नई-नई तकनीकी विकसित होती रहती है, इसलिए उसको निरन्तर अपडेट करने के लिए हमें पढ़ना आवश्यक होता है। शिक्षा के कारण ही हम अनियंत्रित जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाते जा रहे हैं। सभी सहमत हैं कि अशिक्षित व्यक्तियों के बहुत अधिक सन्तानंे होती हैं, वहीं दूसरी तरफ शिक्षित लोगों के घरों में एक या दो ही बच्चे होते हैं। यदि कम बच्चे होंगे तो उनकी शिक्षा और खान-पान आप अच्छी तरह कर सकते हैं, ज्यादा बच्चे होने पर उनकी तरफ पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जा सकता। शिक्षा से गरीबी पर भी काबू किया जा सकता है। इसके अलावा यह मृत्यु दर में कमी करने, लिंग समानता को प्राप्त करने, शान्ति से अपना जीवन-यापन करने, लोकतन्त्र को मजबूती प्रदान करने और कुरीतियों को दूर करने में बड़ी विशेष भूमिका निभाती है। शिक्षा आतंकवाद एवं भ्रष्टाचार से निपटने में बहुत सहायक सिद्ध होती है।
विश्व के अनेक देशों में आज भी बहुत से लोग अशिक्षित हैं, उनको शिक्षित बनाने के लिए सरकार के साथ-साथ अनेक गैर सरकारी संगठन भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, प्रौढ़ शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है तथा इसमें काफी सफलताएँ भी मिल रही हैं। भारत में भी प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से अनेकों कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसका परिणाम बहुत ही अच्छा दिखाई दे रहा है।
यह सूचित करते हुए हमें प्रसन्नता है कि हमारा विश्व जागृति मिशन अति-निर्धन एवं अनाथ बच्चों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्तरीय स्कूल खोलकर शिक्षा प्रदान करा रहा है। विश्व जागृति मिशन द्वारा संचालित स्कूलों के नाम एवं स्थान निम्नवत हैंः-
1. ज्ञानदीप विद्यालय, फरीदाबाद (हरियाणा)।
2. विश्व जागृति मिशन पब्लिक स्कूल, खुन्टी (रांची-झारखण्ड)।
3. विश्व जागृति मिशन पब्लिक स्कूल, रुक्का (रांची-झारखण्ड)।
4. देवदूत बालाश्रम (अनाथालय), सिद्धिधाम, बैकुंठपुर, बिठूर, कानपुर (उ.प्र.)।
5. विश्व जागृति मिशन विद्या मन्दिर (अनाथालय), सूरत (गुजरात)।
6. महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, आनन्दधाम आश्रम, नयी दिल्ली।
7. महर्षि वेदव्यास अन्तरराष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ, सिद्धिधाम, बैकुंठपुर, बिठूर, कानपुर (उ.प्र.)।
8. महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय, आनन्दधाम, नयी दिल्ली।
उपरोक्त सभी स्कूलों में यह मिशन आवास, भोजन, वस्त्र आदि के साथ-साथ निःशुल्क शिक्षा प्रदान करके गरीब बेसहारा बच्चों के भविष्य को सँवारने का कार्य कर रहा है। साथ-साथ भारत में अशिक्षित बच्चों को शिक्षा दिलाने का एक पुण्य कार्य कर रहा है। सम्प्रति इन स्कूलों में 2000 बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है। गुरुकुल से निकले विद्यार्थी ‘शास्त्री’ एवं ‘आचार्य’ बनकर धर्म, संस्कृति एवं अध्यात्म के ज्ञान-विज्ञान का प्रचार-प्रसार देश-विदेश में कर रहे हैं। विश्व जागृति मिशन आगे भी देश में फैली अशिक्षा को दूर करने का भरसक प्रयास करता रहेगा।
निष्कर्षः- शिक्षा इस राष्ट्र के प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है, इसलिए सरकारों को चाहिए कि देश में कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे। अशिक्षा एक अभिशाप है, इसको मिटाने के लिए गैर सरकारी संगठनों को भी समुचित सहायेता करनी होगी। यदि सभी इस समस्या को दूर करने का बीड़ा उठा लेंगे तो यह समस्या स्वतः ही दूर हो जायेगी तथा हमारा देश भारतवर्ष प्रगति के पथ पर लगातार आगे बढ़ता चला जाएगा।