अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे। ज्ञानवैराग्यसिद्धड्ढर्थं भिक्षां देहि च पार्वति।। अर्थात् अन्न में प्राण बसते हैं। जीवनी शक्ति वास्तव में प्राणमय शक्ति ही है, जिसका निवर्हन अन्न […]
यजुर्वेदीय मंत्रें के साथ श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ ‘‘सुन्वताम् ऋणं न न नूनं ब्रह्मणामृणं प्रोशूनामस्ति सुन्वताम न सोमाप्नापये’’ अर्थात् यज्ञ करने वाले कभी ऋणी नहीं रहते पर यज्ञ […]