दृढ़ इच्छाशक्ति, पक्का इरादा और भावविभोर होकर जो आप कार्य करते हैं , उसमे सफलता निश्चित तौर पर मिलती है! जिस प्रकार गेंद को जितनी ताकत लगाकर फेंका जाए, उतनी जोर से वह वापस आती है!
उसीप्रकार आपकी भावना की तरंगें जितने वेग के साथ भगवान तक पहुंचेंगी – उतना ही परिणाम लेकर आप तक वापस आएंगी!
जिस प्रकार बीज को धरती में बोया जाए तो वह कई गुना बढ़ाकर फल देता है, इसी प्रकार भावनाओं की तरंगे परमात्मा के दरबार तक पहुंचती है औऱ अनेक गुना फल लेकर हम तक पहुंचती हैं!
सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपनी संगति का चुनाव ठीक से करें – जैसे लोगो के साथ आपका उठना बैठना होगा ,वैसे ही विचार आपके मस्तिष्क में अपना स्थान बनाते हैं!इसलिए बहुत सावधान रहना है इस बात के लिए!
अपनी भावनाओं को अपनी प्रार्थना में पिरो दो, गहराइयों से भेजी गई तरंगे प्रभु के द्वार तक अवश्य पहुंचती हैं! भावुक होकर, गदगद होकर अपना प्रेम उस प्रभु तक पहुंचाओ : कृपा की वर्षा आप तक पहुंचेगी!
दुनिया को रिझाते रहने से कुछ नही होने वाला, दुनिया के मालिक को रिझाओ – अपनी सारी शक्ति, ऊर्जा उस ओर प्रवाहित करो -अपना संकल्प उस प्रभु के लिए अर्पित करो , मालामाल हो जाओगे, निहाल हो जाओगे!
अपनी प्रार्थनाओ में यही कहा कि हे मेरे प्यारे प्रभु : जो मेरे लिए भला हो, उचित हो वही मुझे दो !मैं मूर्ख नही जानता , कुछ भी मांगने लगता हूँ पर तू वही देना जो मेरे लिए उचित हो!
यदि आप इसी प्रकार सदगुरु के निर्देशन का पालन करते हुए, उनके बताए मार्ग को अपनाते हुए और पवित्र मन रखकर आगे बढ़ते जाएंगे तो आपका संकल्प सफल होगा और आप बहुत कुछ प्राप्त कर जाओगे !