• स्वयम को संतुलित रखना सबसे महत्वपूर्ण है क्योकिं दुनिया की गर्म ठंडी हवाएं लगातार चलती रहेंगी – कभी मान है तो कभी अपमान, कभी खुशी तो कभी गम: इनके बीच ही जीवन की धारा चलती रहती है!
• भगवान जिसको चुनते हैं उसे बुद्धियोग प्रदान करते हैं, तभी व्यक्ति भक्ति के पथ पर चल पाता है अन्यथा संसार मे इतने मनुष्य हैं जो सांस लेते हुए मुर्दे ही समझो!
• परमात्मा की कृपा से ही भक्ति में मन टिकेगा, नाम जपने में रस आएगा, धर्म के कार्यो में रुचि जागेगी ओर तभी व्यक्तित्व में परिवर्तन भी आएगा!
• व्यवहार में मिठास लाओ, घर मे प्रेम और सौहार्द ओर एक शांत जीवन जीने की आदत -यही सब मानसिक संतुलन बढ़ाने में सहायक है ,प्रेमपूर्वक जीना, निर्भय होकर जीना ओर संतुष्ट जीवन रखते हुए बड़प्पन पैदा करो!
• जब पूरी आयु समाप्त होने को होती है तब व्यक्ति को समझ आता है कि मेरा जीवन तो यू ही हाथ से निकल गया- सबसे सगा रिश्ता भगवान से रखना था, उसके लिए मैंने समय ही नही निकाला और ज़िन्दगी पूरी होने की ओर है!
• सबसे कीमती आप हैं और आपका ईश्वर, आपका स्वास्थ्य, आपका गुरु :: सबसे पहले इन्ही को महत्व देना है : संसार तो चलता रहेगा , संसार के कार्य भी चलते रहेंगे पर कीमती चीज़ के लिए अपना कीमती वक़्त दो- शांत होकर संतुलित होकर, प्रसन्नता से अपना जीवन जियो यही बुद्धिमत्ता है!