खिला हुआ जीवन कैसे जिये? | Atmachntan | Sudhanshu Ji Maharaj

खिला हुआ जीवन कैसे जिये? | Atmachntan | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र

खिला हुआ जीवन कैसे जिये?

मानव जीवन अमूल्य है , इसका मूल्य जानिए और जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास कीजिये !

प्रसन्न मन, संतुष्ट मन और उत्साह उल्कास से पूर्ण – यही एक आदर्श जीवन का चित्रण है !

परंतु इसके लिए हमे बहुत प्रयास करना होगा : अपनी दिनचर्या पर ध्यान दे , अपनी life style पर ध्यान दे और अनुशासन को जीवन का अंग बनाये !

सबसे महत्वपूर्ण है कि समय को विभाजित करके उसका प्रयोग करना है कि कितना समय किस चीज के लिए देना है क्योंकि हमें चहुमुखी प्रगति चाहिए भौतिक और आध्यात्मिक दोनों का संतुलन बनाना होगा !

ब्रह्मवेला का पूर्ण उपयोग कीजिये , दिन की शुरुआत प्रभु से जुड़ने से हो और समापन भी उसका स्मरण करते हुए – यह सबसे बड़ा बिंदु है खुशहाल जीवन का !

संतुष्टि को जीवन का हिस्सा बनाइये : मेरे प्रभु ने जो दिया ,जैसा दिया , मुझे मंजूर है और प्रसन्नता पूर्वक उसकी दें को प्रसाद मानकर स्वीकार करता हूँ, ऐसा भाव सदा बना रहे !

व्यस्त रहें, मस्त रहे पर अस्त व्यस्त न रहें :: सबसे अधिक इस बात का ध्यान रखना है क्योंकि जीवन यदि अस्त व्यस्त रहेगा तो कहीं भी खुशहाली नहीं मिल पाएगी!

आपका मार्गदर्शक अवश्य होना चाहिए यानी सदगुरु — उसी के दिये मार्ग ओर विधियों के द्वारा आप अपने को उन्नत कर सकेंगे अन्यथा भंवर में फंसी नौका के समान जीवन गोल गोल घूमता रहेगा और समाप्त हो जाएगा । यह सभी बिंदु हैं जिन पर हमें focus करना है !

1 Comment

  1. dhirendra shahi says:

    Yes

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