नववर्ष का शुभारंभ होने में कुछ ही समय शेष रह गयाहै, हम अपने वर्ष को कैसे व्यतीत करें, यह एक अहम बिंदु है।
अपने जीवन को मूल्यवान बनाना है क्योंकि एक एक पल से जीवन बना है, दिन आते रहेंगे , जाते रहेंगे और यूं ही वर्ष की समाप्ति।
हमारा जीवन लम्हों में बंटा है घंटे, दिन, महीने , वर्ष बस ऐसे ही आते जाते रहेंगे और जीवन पूरा हो जाएगा । कुछ लोग ऐसा ही जीवन जी कर जाते हैं कि पता ही नही चलता कब आये और कब विदाई की वेला आ गयी।
इस लिए अपनी अंतर्यात्रा से वर्ष का आरंभ कीजिये ‘कुछ पल अपने लिए निकाले, आत्मचिंतन करें कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, कहाँ मुझे जाना है , मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, जब हम तमाम सवालों पर दृष्टि डालेंगे तो उत्तर स्वतः ही मिल जाएगा।
मैं एक जीवात्मा हूँ , यह मनुष्य का चोला मुझे परमात्मा ने दिया है जिसके द्वारा मुझे अपना उद्धार करना है। कर्मों का फलभी भुगतना है और अच्छे कर्मों द्वारा मोक्ष का द्वार भी ढूंढना है।
मेरा लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है , अपनी आत्मा को इतना ऊंचा उठाओ कि आप साधारण व्यक्ति नहीं हो, आपको कुछ खास बनना ओर करना है -भीड़ का हिस्सा बनकर नही जीना, भीड़ से अलग हटाकर अपना जीवन व्यतीत करना है।
यह तमाम विचार जब आपके अंतर्मन को झंकृत कर देंगे तब आप एक विशेष जीवन जीने के लिए प्रेरित होंगे । हर वर्ष की तरह इस वर्ष को व्यर्थ नही जाने दूंगा, यह भावना जब आपकी आत्मा में प्रवेश कर जाएगी तब आप कुछ अहम भूमिका निभाएंगे।
इस लिए निवेदन यही कि एकांत में बैठो, अपना आत्मचिंतन करो, आत्मसुधार और आत्म कल्याण के मार्ग पर अपने कदम बढ़ाओ -सफलता अवश्य प्राप्त होगी ।
आध्यात्म और सदगुरु का आश्रय अवश्य लेना होगा तभी हमारी विचारधारा शुद्ध भी होगी और सजग भी इसलिए नववर्ष का स्वागत कीजिये नवीन विचारों से, नवीन परम्पराओ से , नवीन जीवन शैली से ओर आपका जीवन नवीनता से खुशियों से परिपूर्ण होगा।