सदगुरु में सारी शक्तियां समाहित होती हैं , उनका वर्णन करना असंभव ही मानो, गुरु का जीवन मे आनहि सब कुछ पा जाना है ।
सदगुरु कभी शिष्य को अपने से नहीं बांध कर रखना चाहते उनका लक्ष्य तो अपने शिष्य को परमात्मा के द्वार तक पहुंचाना होता है, उसी परम के दर्शन कराना, उसकी अनुभूति हो जाये यही इच्छा होती है गुरु की ।
इसकी सफलता प्राप्त करने के लिए हमें अपना समर्पण करना होता है – गुरु के प्रति भी ओर भगवान के प्रति भी । हमारा लक्ष्य इस संसार मे आने का यही तो है कि हम उस परम की झंकार को अपने ह्रदय में धारण कर सकें, उसी के प्रेम में डूबे रहें और फिर उसकी निकटता , उसकी अनुभूति प्राप्त कर सकें ।
गुरु उस ख़ज़ाने की चाभी शिष्य को पकड़ा देते हैं , विधियों द्वारा कैसे विभिन्न साधनाओं से अपने को पवित्र करना है। अपने जन्म जन्मान्तरों के पाप ताप जलाकर नष्ट कर सकें और कर्म बंधन से मुक्त हो सकें – यह सब सदगुरु के निर्देशन के बिना संभव नहीं ।
उस परम की ज्योति से हमारी ज्योति जल सके , ऐसी लौ लगा दें कि संसार के बीच रहते हुए, कर्तव्य कर्म निभाते हुए भी ध्यान ऊपर ही जुड़ा रहे, यह सब टेक्निक गुरु ही प्रदान करते हैं ।
जीवन का सत्य क्या है, शाश्वत सत्य यह जानो , समझो – संसार के पदार्थ, रिश्ते नाते यही छूट जाएंगे, दुनिया की रौनक ऐसे ही लगी रहेगी- रंगीनियां कम नही होंगी तुम्हारे जाने से :: तुम्हारे साथ जाएगा तो बस तुम्हारा पुण्य, भक्ति, सिमरा हुआ नाम ,साधना से प्राप्त शुद्ध चैतन्य, यही तुम्हारी असली दौलत है – इसको संभालने में अपनी शक्ति और समय का सदुपयोग करो ।
बिना गुरु की शरण लिए इस शाश्वत सत्य को जानना ओर मानना सम्भव नहीं, जब वह साधना की विभिन्न विधियों से शुद्ध चैतन्य की अनु भूति कराते हैं, तभी जीव को वास्तविक ज्ञानकी अनुभूति होतीहै ।
इस लिए परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों मे समर्पित होकर जीवन के रहस्यमयी विद्याओं का लाभ उठाओ ओर उस परम सुखदाता ईश्वर को जानो ओर प्राप्त करो ।