हमारे जीवन मे रिश्तों की जो कीमत है वह साधारणतया हम लोग नहीं समझ पाते परंतु वास्तव में आपके रिश्ते भी आपकी ताकत होते हैं!अपने रिश्तों को मजबूती प्रदान कीजिये!
रिश्तों की नींव प्रेम और त्याग पर ही टिकती है !जितना sacrifice हम दूसरों के लिए करेंगे उतना ही प्रेम प्यार बढ़ता है!प्रेम के धागे में ही रिश्ते पिरोए जाते हैं और त्याग से उनमें प्रगाढ़ता दी जाती है!
गुरु की शरण से हम विनम्रता सीखते हैं और विनम्रता ही इन पथ पर आगे बढ़ाने में सहायक है!अहंकार और अकड़ से भरा व्यक्ति कभी रिश्तों को नहीं निभा सकता !ऐसा व्यक्ति अकेला ही रह जाता है समाज मे, और परिवार में भी!
मान सम्मान के अधिकारी बनना है तो सरल, सहज होने का प्रयास कीजिये , प्रेम और एक दूसरे को निभाना आना चाहिए !जो है, जिस तरह का है, जैसा है – उसे स्वीकार कीजिये और उसी में अपनी ताल मेल बैठाइए!विपरीत स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ भी आपका सामंजस्य बैठ सके, तभी आप सफल व्यक्ति है!
परिवार के रिश्ते हमें जन्मजात मिलते हैं मतलब वह भगवान की देन है! उसमें कोई बदलाव सम्भव नहीं: बदलाव लाना है तो अपने स्वभाव में लाना है और मधुर, प्रेमपूर्ण होकर संबंधों को निभाएं- जीवन खुशियों से भर जाएगा!