जीवन का मार्ग टेढ़ा मेंढा , कांटो से भरा है – जीवन कोई फूलो की सेज नही है जो आसानी से पार हो जाये । हमे इसी उतार चढ़ाव के जीवन मे स्वयम को कैसे आगे बढ़ाना है, यही विचारणीय है !
परिस्थितयां तो आपको हंसाएगी भी और रुलायेगी भी , पर अपने संतुलन को नहीं खोना । हर स्थिति परिस्थिति का सामना करते हुए चलते चले जाओ । भगवान कृष्ण ने गीता में यही उपदेश दिए हैं कि विपरीत परस्थितियों में भी संतुलन बनाकर जीवन के मार्ग पर कैसे बढ़ते जाना है !
पहली बात तो यही कि अपने नियमों में दृढ़ बनिये, अनुशासन का पालन कीजिये और छोटी छोटी बातों में उलझ कर समय व्यर्थ नहीं करना । यह समझिए कि जीवन बहुत मूल्यवान है , जो समय निकल गया वह लौट कर नही आ सकता । इसलिए व्यर्थ की बातों में अपना समय और शक्ति ना बर्बाद करें !
अपने जीवन का कोई एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये क्योकि लक्ष्यहीन जीवन का कोई मूल्य नहीं : जब आपके सामने कोई लक्ष्य होता है तो व्यक्ति को दिशा भी मिलती है और कुछ करने का उत्साह भी !
वैरभाव, ईर्ष्या, क्रोध यह जब ऐसे दुर्गुण हैं जो आपकी प्रगति में बाधक हैं : इस सबसे हमे दूर रहना है । यदि आप किसी के साथ वैरभाव या बदला लेने की भावना लेकर चलते हैं तो आप अपनी ऊर्जा का स्वयम ही ह्रास कर रहे होते हैं !
दुर्गुणों को एक एक करके बाहर निकालना है और सद्गुणों को अपने अंदर भरते जाना है । क्योंकि बुरी आदतें हमारे अंदर किरायेदार बनकर आती हैं और फिर मालिक बनकर बैठ जाती हैं जो दुख और अशांति का कारण बनती है !
अपने स्वभाव को ओर आदतों को लगातार चैक करते रहिए की कही मैँ गलत दिशा में तो नही जा रहा । आत्मचिंतन ही एक ऐसा आईना है जो आपको आपकी बुराइयों से अवगत कराता है क्योंकि किसी के कहने से आप नहीं मानेंगे, स्वयम का निरीक्षण करते रहिए और धीरे धीरे अपने व्यक्तित्व को निखारते रहिये !
अध्यात्म से जुड़कर आप अपने को बहुत ऊंचा उठा सकते हो क्योकि जिस व्यक्ति के जीवन मे धर्म नहीं, भक्ति नहीं, वह तो पशुवत जीवन जी रहा है , सबसे बड़ी अशांति का कारण तो हमारी सोच है : वही सोच जब गुरु से जुड़ती है और भगवान से जुड़ती है तो साधारण मनुष्य भी असाधारण हो जाता है !
निष्कर्ष यही की अपने जीवन को संतुलित करना, नियमों से बांधना ,आध्यात्मिक होना, ध्यान , पूजा पाठ हर चीज के लिए समय निर्धारित करके चलना, मन मे नकारात्मक विचारों को ना आने देना , सब शुभ को ही अपनी ओर आमंत्रित कीजिये :: यही शांति का मूलमंत्र है !
3 Comments
महाराज श्री के विचार और उपदेश हम सब के लिए निश्चित ही गागर में सागर के जैसे हैं। यदि हम इस में से थोड़ा भी अपने जीवन में उतार सकें,तो कल्याण पक्का पक्का है।
Maharaj Ji,mera chita kaise stitaprajna hoga mujhe rasta bataiye
Maharaj ji’s motivational thought always encourages me I like very much their spiritual thought and also impliments in my life .Pranam gurdev.