जिसके मन मे शांति नही , वह सुखी भी नही | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

जिसके मन मे शांति नही , वह सुखी भी नही | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

Atmachintan

जिसके मन मे शांति नही , वह सुखी भी नही

शांति ही आधार है सुख का , आपके पास कितनी भी समृद्धि हो परंतु यदि मन मे शांति नही होगी तो वह ऐशो आराम से भरा जीवन भी व्यर्थ ही लगेगा!

शांति आधार है

नीव है सुख की , क्योकि अशांत व्यक्ति कही भी चला जाये , बाहर का वातावरण उसे सुख नही दे सकता ! यदि मन मे शांति होगी तो हर दृश्य का आनंद आप लेंगे अन्यथा सब झूठ ही नज़र आएगा !

अब प्रश्न यह उठता है कि शांति आती कैसे है ।  मन को नियंत्रित करना , अत्यधिक महत्वाकांशी होना, ओर बिखरा हुआ मन — यह सब अशांति देने वाली चीजें हैं। इएलिये अपना आत्मावलोकन करना आवश्यक है कि हम कही अधिक बाहर की ओर तो नही भाग रहे।

स्वयम का सुधार स्वयम ही सम्भव है । शांति आएगी अपने नियमो को सही रखने से, अपनी दिनचर्या को ठीक रखें, भोजन में भी नियंत्रण चाहिए : सात्विक भोजन, अल्पाहार , यह सब मानसिक स्थितियों को ठीक करने में सहायक हैं।

आपकी प्रगति भी शांत रहकर ही सम्भव है – घर मे शांति होगी तो आपका घर प्रेम मंदिर बनेगा अन्यथा कलह क्लेश होता रहेगा : कार्यस्थल में शांति होगी तभी विकास संभव होगा – सब कुछ शांत वातावरण में ही सम्भव है ! आपका स्वास्थ्य भी आपकी शांति से जुड़ा हुआ है : शांत ह्रदय, मन, मस्तिष्क वाला व्यक्ति स्वस्थ रहेगा, प्रसन्न रहेगा और प्रसन्नता को ही बांटेगा।

शांति का केंद्र बिंदु है भक्ति और आध्यात्म :

यदि आप संबुद्ध सदगुरु से जुड़े हुए हैं तो आपका पतन कभी भी सम्भव नहीं । गुरु ही शांति का मार्ग दिखाते हैं , आसान पर बैठाकर , ध्यान में डुबकियां लगवाकर , आपके जीवन को एक ऐसे सूत्र में बांध देते हैं जहां से शांति का मार्ग जाता है : प्रसन्नता, आनंद और सुखी जीवन ! इसलिए आवश्यक है कि अपना मार्गदर्शक , अपना जीवन का निर्माता , अपना गुरु का हाथ पकड़े : वही उस नैया पर बैठाकर पार लगाएंगे जहां से सुख ही सुख है : परम शांति: गहन शांति और आनंद !

1 Comment

  1. Chanchal says:

    Very nice article.

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