हे ब्रम्हज्ञान के प्रकाशपुंज! हे सृजनात्मक शक्ति के स्वामी ! हम सभी भक्तोंका श्रद्धाभरा प्रणाम स्वीकार हो। है त्रिगुणातीत! आप दयालु है, धर्म के संवाहक है, ऋषि-मुनियों की परंपरा के सजीव उदाहरण है। आप काल कालान्तरों के वृत्तांतों और अनुभवों की सुखद अनुभूति हैं। आपने हमें परिश्रम पुरुषार्थ साहस सहनशक्ति तन्मयता स्वावलंबन नियमितता व्यवस्था स्वच्छ्ता सेवा और सहयोग रूपी अनुपम शिख देकर हमारे ऊपर जो उपकार किया है, इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
हे मानवता के पथप्रदर्शक! आपकी ज्ञानमयी अमृतवाणी सदैव हमारे अंग -संग रहती है। भगवान की स्तुति प्रार्थना उपासना में आपका सद्ज्ञान एवं निर्देशन ही सहायक सिद्ध होता है। भाव में अभाव में उन्नति में अवनति में और जीवन की सुनसान राहों में आप सखा बनकर हमेशा आप हमारे साथ रहते है। आपके आशीष का अमृत सदैव हमे प्राप्त होता रहे, एहि हमारी अभिलाषा है।
हे ज्ञान सागर ! आपके ब्रम्हज्ञान के अनुगूंज से हमारे अंतःकरण में आनंद की तरंगें हिलोरें लेने लगती है और हमारा रोम रोम आनंद से पुलकित हो जाता है, जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण तथा प्रेमपूर्ण हो जाता है। हे गुरुवर! हमारा हृदय सदैव आपसे जुड़ा रहे , हम पर आपकी कृपा वरषति रहे । हमारी एहि प्रार्थना है, याचना है, स्वीकार कीजिये।
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OM NAMAH SHIVAY