हे प्रभु! श्रद्धा भरा हमारा ये प्रणाम स्वीकार करो। प्रार्थना | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

हे प्रभु! श्रद्धा भरा हमारा ये प्रणाम स्वीकार करो। प्रार्थना | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

प्रार्थना

हे अनन्त! हे असीम! हे सच्चिदानन्द स्वरूप! हे सर्वशक्तिमान! हे दयानिधाान, कृपानिधाान! हे सर्वेश्वर! हे सर्वाधाार!

श्रद्धा भरा हमारा ये प्रणाम स्वीकार करो। अनन्त-अनन्त दया, अनन्त-अनन्त कृपा आपकी सबपर, सब जीवों पर निरन्तर बरसती है। अपने कर्मों के द्वारा ही प्रत्येक व्यक्ति संसार में कर्मबंधान में बंधाकर आता है और अपना भाग्य लेकर इस संसार में सुख-दुख भोगता है। पूरा संसार तो आपका आपके नियमों से बंधाा हुआ है और प्रत्येक जीव भी, प्रत्येक मनुष्य भी कर्मबंधान में आपके नियम से ही बंधाा है।

आप न्यायकारी हैं, सबका न्याय करते हैं लेकिन अद्भुत हैं आप, दयालु भी हैं आप, माता-पिता भी हैं, बंधु-सखा भी हैं, करुणा स्वरूप होने के कारण, करुणानिधिा होने के कारण आप अपने बच्चों पर, अपने भक्तों पर दया अवश्य करते हैं। किसी से बदला नहीं लेना चाहते लेकिन उसको बदला हुआ जरूर देखना चाहते हैं। दण्डविधाान आपका कठोर अवश्य है, रुद्र रूप में आप रुलाते अवश्य हैं पर शिव रूप में आप कल्याण भी करते हैं। प्रभु आपसे यह प्रार्थना करते हैं-जाने में, अनजाने में जो भी कुछ हमारे द्वारा कुछ भी किसी भी प्रकार की त्रुटि होती है, कोई भी दोष होता है, कोई भी खोट होती हैं, कोई भी अपराधा होता है उस कर्मबन्धान में तो हम बंधो हुए हैं लेकिन आपकी कृपा के सहारे तरना चाहते हैं।

आपकी कृपा जब होती है तो पाप-ताप कटते हैं, सद्गुरु आते हैं, सत्संग में रुचि होती है, नाम जपने के लिये मन संकल्पित होता है और नाम जपने में रस आता है, सेवा करने के लिये उद्यत होता है व्यक्ति। ये पग आपकी राह पर चलने लग जाते हैं, आसन व्यक्ति सम्भालने लग जाता है, ब्रह्म बेला का लाभ लेने लग जाता है, अच्छी संगत में बैठता है, अच्छी पुस्तकें पढ़ता है, धाीरे-धाीरे मैल कटती है, धाीरे-धाीरे व्यक्ति के पाप-ताप कटते हैं और जीवन में सुख-शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होने लगती है। प्रभु हम बस यह प्रार्थना करना चाहते हैं।

अपने प्यारों का संग देना, सद्गुरु के प्रति श्रद्धा देना, नाम जपने में रस आने लग जाये और सेवा करने के लिये संकल्पित हमेशा रहें, ये हाथ देने के लिये उठते रहें, हमारे हाथ-पांव चलते रहें, हमें किसी के सहारे और सहायता की आवश्यकता कभी न पड़े। हमारी मुस्कुराहट हमारे चेहरे पर बनी रहे, माथे पर शांति हो, हृदय में प्रेम बना रहे और इस दुनिया में हम किसी के भी कर्जदार न रहे जायें। फ़र्ज अपने सब पूरे कर सकें, सारे कर्त्तव्य-कर्म, सभी उत्तरदायित्व हम निभा सकें, हंसते-मुस्कुराते जीएं और आनंद और प्रसन्नता के साथ आपके धााम तक पहुंचें। आपके दर से जुड़े हुए सभी भक्तों पर आप कृपा करना, सबकी झोलियां भरना, माला-माल करना, सभी को निहाल करना। यही विनती है प्रभु! यह हमारी वंदना, ये प्रार्थना, अभ्यर्थना स्वीकार कीजिये।

ओम् शांतिः शांतिः शांतिः ओम्

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