परिवार में व्यवस्था आवश्यक | आत्मचिंतन | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

परिवार में व्यवस्था आवश्यक | आत्मचिंतन | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

Atmachintan

परिवार में व्यवस्था आवश्यक

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज मे रहने के लिए परिवार चाहिए और परिवार में सामंजस्य तथा प्रेम का वातावरण !

परिवार में यदि आप खुशहाली बनाना चाहते हैं तो एक सौहार्द्य पूर्ण वातवरण अवश्य चाहिए जिससे सभी घर के सदस्य एक दूसरे को समझ सकें !

सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है – सहनशीलता रिश्ते तभी टिकते है जब व्यक्ति एक दूसरे को बर्दाश्त करना शुरू करता है !

रिश्तों की नींव इसी पर टिकी है कि क्या कुछ हम त्याग कर सकते हैं,  स्वार्थवश प्रेम दिखाना या लेने की भावना बनी रहे या यही कि अगर मैंने कुछ किया तो बदले में मुझे भी उतना ही वापसी मिले- यह भावना रिश्तों में दरार डालने का कार्य करती है !

इसलिए यह जानिए कि घर परिवार का केंद्रबिंदु है प्रेम और परस्पर भावनाओ को सम्मान कर सकें तथा रिश्तों की अहमियत समझ सकें !

जिस प्रकार हाथ की सभी उंगलियां जब मिल जाती है और अंगूठा भी साथ आता है तभी मुट्ठी बनती है यानी शक्ति – अर्थ यही है कि एकता में ही शक्ति है !

दुर्गा मां के भी आठ हाथ हैं और सिर एक – मतलब दर्शाता है कि घर के सभी सदस्य कर्मशील रहें परंतु एक बुद्धि, एक दिशा में कार्य करें, तभी विकास होगा !

अपने घर को प्रेम का मंदिर बनाइये इसमे आनंद और उल्लास की महक चारों तरफ आती रहे, सब एक होकर अपना आदर्श प्रस्तुत करें, ऐसे घर मे स्वयम लक्ष्मी जी अपना स्थान बना कर रखती हैं और देवशक्तियाँ सहयोगी बनकर रहती हैं !

जिस घर मे भगवान का स्थान और गुरु का स्थान जितना सुंदर होता है – वह दर्शाता है कि घर के सदस्य उस परमसत्ता से जुड़े हैं, उसे महत्व देते हैं, वहां कभी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती !

1 Comment

  1. जय हो सदगुरु देव महाराज जी आपकी जय हो शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया आपकी हर दैन के लिए शुक्रिया औम गुरुवै नम औम नमो भगवते वासुदेवाय नम

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