जीवन तो शनः शनः बीतता जाएगा और हाथ मे लिए हुए रेत की तरह सारा समय व्यतीत हो जाएगा – मालूम ही नही चलता कि कब इतना समय हाथ से निकल गया !
महत्वपूर्ण है तो यह कि हम अपने जीवन को आनंद से भरकर प्रत्येक क्षण उसका भरपूर उपयोग करें !
वसंत ऋतु का आगमन होता है तो जैसे फूलों से डालियां लद जाती हैं, मधुर वातावरण से प्रकृति का कण कण जैसे आनन्दित हो रहा हो: पूरे पर्यावरण में अलग ही सौंदर्य दृष्टिगत होता है !
यही वसंत हमारे अंदर भी उतर जाए , हम भी उल्लास प्रसन्नता से भरपूर , पूर्ण उत्साह , उमंग से भरे हुए : जैसे सब कुछ मिल गया हो – जीवन पूर्णता से भर गया, तो समझो समय का सदुपयोग हो गया !
अन्यथा बुझा बुझा सा, निराशापूर्ण , शक्तिहीन जीवन तो सभी जी ही लेते हैं – परंतु उसमे परिवर्तन लाना आवश्यक है , तभी हम मानवजीवन को सफल बना पाएंगे !
अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करते हुए हमें अपने समय का लाभ उठाना है, अपने जीवन मे तमाम खुशियां भरनी हैं जिससे प्रत्येक क्षण गाते गुनगुनाते हुए, प्रसन्न रहते हुए समय का निर्धारण करें !
जब व्यक्ति का मन प्रसन्न होता है तो हर चीज अच्छी लगती है, बाहर की खुशी भी तभी खुशी देती हैं जब आप अंदर से प्रसन्न हों , इसलिए निराशापूर्ण बातों की अवहेलना करते हुए मन को आनंदित कीजिये !
एक वसंत बाहर है तो एक आपके अंदर भी है, जब दोनों का समन्वय होता है तब जीवन खुशियों से भर उठता है , इसलिए वसंत ऋतु का आगमन हुआ है , खुले दिल से उसका स्वागत कीजिये और खिले हुए फूलो की तरह अपना ह्रदय भी खिला लें !
अपना मन, मस्तिष्क सब निर्भार कर लीजिए, सौंप दो अपनी सारी चिंताएं अपने भगवान के चरणों मे और अपने सदगुरु के चरणों में वह स्वयम संभालेंगे, आपको तो बस खुश रहना है, मस्त रहना है , अपने कर्म को करते जाना है, बाकी उसकी मर्जी !
यही वास्तविक संपदा है जो आपके जीवन को उल्लास से भर देगी, हर पल , हर लम्हा, हर चीज गाती हुई नजर आएगी और आप नाच उठेंगे, गा उठेंगे – उन्मत्त पंछी की तरह !