हाथ जोड़ लीजिए सभी, प्रेम पूर्वक अपनी आंखें बंद करें, शांत और सहज हों, प्यारे ईश्वर से अपना संबंध जोड़ते हुए विनती करते हैं। हे परमेश्वर! पतित पावन, मनभावन, जगदाधार, जगदीश्वर! हम सभी आपकी शरणागत हैं।
इस पवित्र बेला में आपको श्रद्धा भाव से प्रणाम करते हैं। यह पूरा संसार ही प्रभु आपका द्वंद्वमय संसार है। दो विपरीत चीजें हर पल जीवन के साथ जुड़ी रहती हैं। ना सब कुछ अनुकूल है, ना सब कुछ प्रतिकूल है, ना दुख ही दुख है, ना सुख ही सुख है। प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में एक तरफ मुस्कान है दूसरी तरफ आंसू हैं।
इन दो विपरीत धाराओं के बीच शांत रहना और संतुलन बनाकर चलना, खुद को संभाले रखना, अपने उद्वेग, पर उत्तेजना पर काबू पाना, अपनी मुस्कुराहट को कायम रखना, अपनी हिम्मत को बनाए रखना, अपने लक्ष्य पर दूर दृष्टि रखते हुए, नजरें गढ़ाए हुए लगातार चलते जाना, इसी को जीवन का मंत्र कहा जाता है पर यह जीवन मंत्र तभी काम करता है जब प्रभु गुरु का निर्देश हो और आपका आशीर्वाद साथ हो।
हमारी आत्मा जागृत रहे। सहज भाव से नित्य निरंतर हम आप से जुड़े रहें। आप से जुड़कर स्वयं को शांत, संतुलित, प्रेम पूर्ण बनाएं, गुरु से जुड़कर के अपने आपको संभाले और अपनी प्रेरणा शक्ति को बढ़ाएं और संसार के अनुभवों से सीखें।
यह सब कृपा प्रभु आपकी कृपा के बिना यह सारी कृपाएं काम नहीं करती। धन भी, शक्ति भी, बुद्धि भी सांसारिक साधन भी तभी काम करते हैं जब आपका आशीष साथ चलता है। अपना आशीर्वाद बनाए रखना। आपके दर की आस लेकर बैठे हुए हैं सभी, सब पर अपनी कृपा बनाए रखना प्रभु।
भविष्य अंधेरे से भरा हुआ रहता है, काली चादर है, भविष्यफल किसी को भी नहीं पता कि कल का दिन आने वाला समय किस तरह से होगा। कितना मान, कितना सम्मान, कितना सुख, कितना दुख, कितनी उन्नति, कितनी अवनति, कितनी समृद्धि और कितनी कंगाली का सामना करना पड़ेगा पर जिसका हाथ आपने पकड़ लिया वह संभलेगा ही हम आपकी शरणागत हैं प्रभु! हाथ पकड़े रखिए। हमें कभी ना छोड़िए। गुरु के प्रति हम वफादार रहें और हम अपने नियमों से युक्त रहे। हमें आशीष दो, हमारी श्रद्धा हमारी वफादारी कभी कम ना हो यही विनती है प्रभु स्वीकार करो।
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