यह जीवन भगवान की सौगात है जो हमे मनुष्य योनि के रूप प्राप्त हुई है परंतु इसके हम भरपूर सदुपयोग कर सकें और अपने जीवन को चरम उत्कर्ष तक पहुंचा सकें यह आवश्यक है !
इसके लिए आवश्यक है कि हम अपनी सभी कलाओं को प्रकट करें , भौतिक सफलता भी चाहिए और आध्यात्मिक साफलता भी एक दिशा में चलते रहे तो जीवन अपूर्ण रह जायेगा !
इसके लिए जो प्रथम विचारणीय बिंदु है वह यह कि हमे अपने जीवन को नियम और अनुशासन में बांधना होगा । सोने, जागने ,खाने ,पीने का नियम — जब तक नियमित नही होंगे, साफलता नही मिल सकती !
अपने पूजा पाठ, ध्यान साधना सभी का नियम बनाइये, समय को विभाजित इस तरह करें कि सब कार्यों को पूर्ण करना है यदिहम एक ही दिशा में लगे रह गए तो जीवन अपूर्ण अवस्था को प्राप्त हो जाएगा !
जो व्यक्ति अपने कर्तव्य कर्म भी ठीक से निभाता है – रोज़ी रोतिभि कमानी है, परिवार को भी समय देना है परंतु इस सबके साथ अपनी आध्यात्मिक प्रगति को भी ध्यान रखना है, वही साफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है !
हमारा जीवन चहुमुखी प्रगति कर सके ,अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सजग रहें, आर्थिक उन्नतिभि करनी ही, घर परिवार का प्रेम सौहार्द्य भी बना रहे — जब तक हर पहलू को ध्यान नही रखेंगे तो विकास नही हो पायेगा !
इसके लिए अपने जीवन को अपने मार्ग निर्देशक से जोड़िए वही आपको राह दिखाएंगे – बिना गुरु के ज्ञान के हम अधर में ही लटके रह जाते हैं, गुरु की प्रेरणा, जनके संदेश, उनकी चुम्बकीय शक्ति हमारा मार्ग दर्शन करती है और हम अपना पूर्ण विकास कर पाते है !
इसलिए आवश्यक है कि हम अपने व्यक्तित्व के सभी पंखुड़ियोंको खिलाएं ,उसमे प्रेम और प्रसन्नता के रंग भरें जिससे हम इसलोक को भी सफल बना सके और उसलोक में भी मोक्ष को प्राप्त कर सकें !