‘पहला सुख निरोगी काया’ अर्थात जीवन के हर सुख को भोगने के लिए शरीर को स्वस्थ रखने की जरूरत है। मानते हैं कि धन मूल्यवान है, लेकिन धन कमाते हुए हम अगर सेहत बिगाड़ बैठें, तो न धन का लाभ उठा पायेंगे, न उसे भोग सकते हैं। सेहत बिगड़ने पर कमाया धन सेहत के लिए डॉक्टर को देना पडे़, टेबलेट्स, कैपसूल्स, दवाईयों न जाने कितना धन खर्च करना पड़े। तो मन विचलित हो उठता है। तब जीवन भर का पुरुषार्थ व्यर्थ जाता दिखता है।
जरा सोचें तो स्पष्ट होता है कि हम भले नींद की गोली ला सकते हो, पर नींद नहीं ला सकते, धन के लिए नियम तोड़ सकते हैं, लेकिन उस धन से संतोष कहां, आखिर सजा तो भोगनी ही पड़ेगी। क्योंकि शरीर व जीवन केवल धन से नहीं, प्रकृति के नियम से चलता है। अतः आरोग्यता के लिए प्राकृतिक नियम पालन जरूरी है। यही जीवन को यज्ञमय बनाना है। यह ‘‘श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ’’ हमें प्रकृति व जीवन दोनों के बीच संतुलन लाने में मदद पहुंचाने के लिए है। क्योंकि यह पाठ के साथ संपन्न होगा। महायज्ञ जीवन में ऊर्जा शक्ति को संगठित करने का साहस जगायेगी। साथ ही हमारी जीवन ऊर्जा को सकारात्मक बनायेगी।
हम गणेश-लक्ष्मी की शक्ति के महत्व पर दृष्टि डालें तो दो ऐसी शक्ति धारायें हैं, जिन पर संसार की गतिशीलता निर्भर है। कहते हैं श्री शक्ति अर्थात धन-लक्ष्मी के अभाव में व्यक्ति का लोक-परलोक सधना तो दूर, जीवन का एक पल भी बीत पाना कठिन होता है। इसी प्रकार धन का आगमन जीवन में हो भी जाये, पर उसके समुचित नियोजन की चेतना जीवन में स्थापित न हो, तब भी जीवन नारकीय बन जाता है। इसके लिए विवेक शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। इसीलिए लक्ष्मी के साथ गणेश को जोड़ा गया है।
‘श्रीगणेश-लक्ष्मी’ महायज्ञ जीवन, घर-परिवार में विवेक की शक्ति के साथ धन, ऐश्वर्य, सुख-स्वास्थ्य, श्री शक्ति, समन्वय के आवाहन का विशिष्ट प्रयोग है। इस यज्ञ में गुरु सान्निध्य में साधक विवेक के प्रतीक, जीवन से विघ्नों को दूर करने वाले प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान एवं साधनों व धन-वैभव की अधिष्ठात्री माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के साथ विशेष मंत्रें द्वारा आहुतियां याजकों द्वारा प्रदान की जायेगी। गुरु संरक्षण में कराये गये ऐसे विशिष्ट यज्ञों से साधकों पर वर्ष भर इन दो शक्तिधाराओं की कृपा बनी रहती है, ऐसी मान्यता है। इस वर्ष महायज्ञ में गणेश-लक्ष्मी प्रयोग के साथ माँ दुर्गा शक्ति का पूजन-आह्नान होगा। साथ ही यज्ञ मंडप में विशेष श्रीशक्ति आवाहन के लिए ‘श्रीयंत्र’ स्थापित करने की प्रक्रिया भी संपन्न होगी।
पौराणिक शास्त्र बताते हैं कि ‘श्रीयंत्र’ लक्ष्मी प्राप्ति का मुख्य प्रामाणिक साधन है। इससे आर्थिक उन्नति, व्यापार में तरक्की तथा भौतिक सुख-सम्पदा की वृद्धि होती है। श्रीयंत्र में शिव-शक्ति, विष्णु-लक्ष्मी, गायत्री-दुर्गा, मां ललिता त्रिपुर सुन्दरी और उनके दिव्य शक्तियों का भी वास रहता है। यह यंत्र ब्रह्माण्डीय ऊर्जा को आकर्षित कर साधकोें को दिव्य आभामण्डल से जोड़ता है। इसके प्रभाव से भी शांति, स्वास्थ्य, सफलता एवं सम्पÂता मिलती है। इस प्रकार यह महायज्ञ विशेष श्री सम्पदा एवं दुर्गा शक्ति के प्रयोगों से ओत होकर धरा पर नवऊर्जा का निर्माण करेगी, जिससे मानवता धन्य हो सके। आप सभी इसमें भागीदार बने, सौभाग्य जगायें।