नारद ऋषि के भक्ति सूत्र! | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

नारद ऋषि के भक्ति सूत्र! | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र:

आत्मचिंतन के सूत्र

‘सा त्वस्मिन परमप्रेम रूपा’!
भक्ति के लिए जरूरी है प्रेमवाले बनना!

प्रेमवालों के कारण दुनिया में अच्छाई है! प्रेमवाले व्यक्ति के लिए कोई पराया नहीं है!
प्रेम जोड़ेगा और बैर तोड़ेगा!
प्रेम आपका भला करेगा और बैर आपका अहित करेगा! प्रेम केवल ऊपर उठाएगा और द्वेष नीचे गिराने की योजना बनाएगा!
परमात्मा का द्वार प्रेम से खुलता है! जो केवल स्नेह से भरा हुआ है वही भक्त है!
भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होने से आध्यात्मिक संतुष्टि प्राप्त होगी!

प्रेमपूर्ण भक्ति से आपके अंदर सतगुण विकसित होते हैं! आपकी भक्ति उड़ान भरेगी जब उसमें प्रेम की ऊर्जा लगती है!
ईश्वर के प्रति अतिशय प्रेम ही भक्ति है! जिसको पाने के बाद व्यक्ति सिद्ध हो जाता है वही भक्ति है!
जिसको पाने के बाद व्यक्ति को अमृत प्राप्ति होती है वही भक्ति है!

दुनिया के दीन दुखिओं के प्रति करुणा करना भी भक्ति है!
जगाओ अपने अंदर प्रेम और भक्ति का दीप !

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